मुंबई. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आगे बने रहेंगे या नहीं इस पर सस्पेंस बना हुआ है. करीब 6 महीने का समय बीत चुका है लेकिन उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) किसी भी सदन के अब तक सदस्य नहीं हुए हैं. विधानसभा या विधान परिषद दोनों में से किसी का सदस्य ना होते हुए उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री का 6 महीने का कार्यकाल करीब पूरा कर चुके हैं. 29 मई के पहले उन्हें किसी न किसी सदन का सदस्य होना पड़ेगा.
हालांकि, कोरोना को देखते हुए महाराष्ट्र में सभी चुनाव जून तक टाल दिए गए हैं. जिसके बाद उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर सस्पेंस बन गया है. राज्य में किसी भी तरीके का संवैधानिक संकट ना खड़ा हो इसके लिए कैबिनेट ने एक प्रस्ताव मंजूर कर राज्यपाल के पास भेजा है. जिसमें कैबिनेट ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि विशिष्ट लोगों को सदन में भेजने के लिए राज्य सरकार से सिफारिश मांगी थी. उसमें उद्धव ठाकरे को मनोनीत करके विधान परिषद का सदस्य घोषित किया जाए. लेकिन सिफारिश किए गए करीब 20 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन राज्यपाल की तरफ से अब तक कोई कन्फर्मेशन नहीं आया है. जिसके बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उद्धव ठाकरे बने रहेंगे या नहीं इस पर सस्पेंस कायम है.
शिवसेना प्रवक्ता और विधान परिषद सदस्य शिवसेना प्रवक्ता मनीषा कायंदे ने उम्मीद जताई है कि राज भवन कैबिनेट द्वारा शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का एमएलसी के लिए जो भेजा गया है उस पर मुहर लगेगी और वो बतौर मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के लिए लगातार काम करते रहेंगे. लेकिन राज्यपाल की तरफ से किसी भी तरीके के सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आने की वजह सरकार की चिंता बढ़ा दी है. इसके पहले भी महाराष्ट्र सरकार ने एनसीपी के दो नेताओं का नाम राज्यपाल के पास भेजा था, जहां पर उन्होंने सिफारिश की थी कि राज्यपाल जिन दोनों को मनोनीत करके विधान परिषद भेजेंगे. उसमें दो नाम की सिफारिश कैबिनेट ने दी थी. लेकिन राज्यपाल ने यह कहते हुए उस सिफारिश को टाल दिया कि यह दोनों नाम राजनीतिक है और ऐसे में राज्यपाल इन दोनों नामों को नॉमिनेट नहीं कर सकते हैं.
शिवसेना-कांग्रेस-NCP के पास प्लान-B
अब सरकार और शिवसेना के नेताओं को डर सता रहा है कि कहीं राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे के नाम को राजनीतिक बताते हुए नॉमिनेट नहीं किया तो उनकी मुख्यमंत्री पद की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है. हालांकि सूत्र यह बताते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि राज्यपाल आखिरी समय में उद्धव के नाम पर सहमति दे देगें और वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे. अगर किसी भी तरीके से राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति जताते हुए उन्हें मनोनीत करने का फैसला नहीं किया तो कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना का प्लान भी एक्टिव हो जाएगा. दरअसल उद्धव को बतौर सीएम लगातार काम करते रहने के लिए किसी भी सदन का सदस्य होना पड़ेगा.
ये तरीका अपनाएगी महाराष्ट्र सरकार
लेकिन अगर राज्यपाल ने उनके नाम का अनुमोदन नहीं किया तो तीनों पार्टियां मिलकर अपना प्लान भी सक्रिय करेंगे. जिसके मुताबिक उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिलाया जाएगा और तीनों पार्टियां और उनके विधान सभा के पार्टी नेता समर्थन पत्र लेकर राजभवन जाएंगे. जहां पर तीनों पार्टी के नेता सभी विधायकों के समर्थन पत्र को लेकर राजभवन जाकर उद्धव ठाकरे को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए समर्थन पत्र देंगे और उद्धव ठाकरे को फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी यानी सरकार की चिंता इस बात को लेकर है कि अगर उद्धव मुख्यमंत्री लगातार नहीं बने रहते हैं और उन्हें फिर से शपथ दिलाकर मुख्यमंत्री बनाया जाएगा तो उनके इस्तीफा देते ही उनका पूरा मंत्रिमंडल अपने आप निरस्त हो जाएगा और ऐसे में सभी मंत्रियों को फिर से मंत्रिपरिषद की शपथ दिलानी पड़ेगी. जिसमें हर पार्टी के नेता जो पिछली बार मंत्री ना बनने की वजह से नाराज और शांत थे वह फिर से एक्टिव हो सकते हैं और मंत्री बनने के लिए लॉबिंग कर सकते हैं.
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