असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। इस आपदा में 23 जून को 7 और लोगों की मौत हो गई। इस तरह मरने वालों की संख्या 108 हो गई है। इस बीच मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गंभीर रूप से प्रभावित सिलचर शहर का हवाई सर्वेक्षण किया। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के बुलेटिन के अनुसार, हालांकि बारिश रुकने से बाढ़ की स्थिति में सुधार आया है। पहले राज्य के 32 जिलों में 54.50 लाख लोग प्रभावित थे। अब यह आंकड़ा 30 जिलों में घटकर 45.34 लाख रह गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि केंद्र असम में बाढ़ की स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “सेना और एनडीआरएफ की टीमें बाढ़ प्रभावित इलाकों में मौजूद हैं। वे बचाव अभियान चला रही हैं और प्रभावित लोगों की मदद कर रही हैं। वायुसेना ने 250 से अधिक उड़ानों के जरिये लोगों को बाढ़ग्रस्त इलाकों से बाहर निकाला।
ASDMA के अनुसार, कछार और बारपेटा से दो-दो और बजली, धुबरी और तामुलपुर जिलों से एक-एक मौतों की खबर है। इस तरह मई के मध्य से अब तक 108 लोगों की जान गई है। नगांव: जिले के बाढ़ प्रभावित गांव में पीने का पानी लाने के लिए अस्थायी बांस पुल का उपयोग करती एक महिला।
अधिकांश प्रभावित जिलों में ब्रह्मपुत्र और बराक नदियां अपनी सहायक नदियों के साथ उफान पर हैं। कुछ जगहों पर पानी कम होने के बावजूद भूमि का बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया है बाढ़ की इस दूसरी लहर में 100869.7 हेक्टेयर फसल क्षेत्र और 33,77,518 जानवर प्रभावित हुए हैं जबकि 84 जानवर दिन में बह गए। नलबाड़ी: जिले के बाढ़ प्रभावित गांव में सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए लोग केले के बेड़ा का उपयोग कर रहे हैं।
बाढ़ के चलते बाढ़ग्रस्त इलाकों के कई हिस्सों में बिजली सप्लाई ठप रही। हालांकि कुछ इलाकों में इसे बहाल कर दिया गया है, जबकि असम पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एपीडीसीएल) के इंजीनियर गुवाहाटी से सिलचर पहुंचे है। हालांकि सीएम का कहना है कि पानी में डूबे ट्रांसफार्मरों की मरम्मत में खतरा है। बजली: जिले में बाढ़ प्रभावित लोग सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए केले के बेड़ा का उपयोग कर रहे हैं।
प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने में सिलचर जिला प्रशासन की मदद के लिए शुक्रवार को 10 और अधिकारी शामिल हुए। गोलपारा: जिले में बाढ़ राहत शिविर में प्रभावित परिवार।
बराक घाटी के तीन जिले- कछार, हैलाकांडी और करीमगंज बराक और कुशियारा नदियों के बढ़ते पानी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जबकि सिलचर शहर एक तटबंध के टूटने के कारण जलमग्न हो गया। कामरूप: जिले में बाढ़ के घर में एक महिला।
एएसडीएमए बुलेटिन के अनुसार सबसे बुरी तरह प्रभावित जिला बारपेटा हैं, जहां 10,32,561 लोग बाढ़ से पीड़ित हैं, इसके बाद कामरूप (4,29,166), नगांव (5,03,308) और धुबरी (3,99,945) हैं। गोलपारा: जिले के एक गांव में बाढ़ के पानी से सड़क का एक हिस्सा बह जाने के बाद ग्रामीणों ने एक अस्थायी बांस का पुल बनाया।
बाढ़ ने 173 सड़कों और 20 पुलों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है, जबकि बक्सा और दरांग जिलों में दो तटबंध टूट गए हैं और तीन क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सिलचर में अपने सर्वेक्षण के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा बाढ़ प्रभावित इलाकों का मुआयना करते हुए।
बक्सा, बारपेटा, विश्वनाथ, बोंगाईगांव, चिरांग, धुबरी, कोकराझार, लखीमपुर, मोरीगांव, नलबाड़ी, सोनितपुर, तामुलपुर और उदलगुरी से भी बड़े पैमाने पर कटाव की सूचना मिली है। कामरूप: जिले में बाढ़ग्रस्त इलाके से गुजरता मोटरसाइकिल सवार।
हवाई सर्वेक्षण करने के बाद मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बराक घाटी क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की और घोषणा की कि वहां फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां सिलचर कस्बे में भेजी जाएंगी। सरमा ने समीक्षा बैठक के बाद कछार जिले के सिलचर में डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के बाहर मीडिया से कहा कि NDRF, SDRF, सेना और अन्य एजेंसियां बचाव अभियान चला रही हैं। फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां पहुंच रही हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असम में बाढ़ प्रभावित सिलचर का हवाई सर्वेक्षण किया। साथ में असम बीजेपी उपाध्यक्ष राजदीप रॉय भी नजर आ रहे हैं।
लगातार बारिश के कारण आई विनाशकारी बाढ़ ने 103 राजस्व मंडलों और 4536 गांवों को प्रभावित किया है, जबकि 2,84,875 लोगों ने 759 राहत शिविरों में शरण ली है। गोलपारा: जिले में राहत शिविर में बाढ़ प्रभावित लोग।
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