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कुन्नुर। कुन्नूर में दुर्घटनास्थल के पास में ही रहने वाले रवि ने बताया, मैंने तेज आवाज सुनी और हेलिकॉप्टर की आग की लपटों में देखा। वह तेजी से जलता हुआ नीचे आ रहा था। मैं कुछ स्थानीय लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंचा और वहां 12 जले हुए शव मिले। हमने दो लोगों को बचाया लेकिन वे गंभीर रूप से घायल थे। एक एम्बुलेंस उन्हें वेलिंग्टन के सेना के हॉस्पिटल ले गई। रवि ने कहा, जिन दो लोगों को जिंदा बचाया वह बहुत ज्यादा जल चुके थे। उनकी हालत बहुत ज्यादा खराब थी।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत सहित 14 लोगों ने उड़ान भरी थी। कोयंबटूर के पास सुलूर हवाई अड्डे से उड़ान भरी गई थी और कुन्नूर की ओर जा रहे थे। चॉपर लैंडिंग से कुछ मिनट दूर था, तभी हादसा हुआ। चश्मदीदों के मुताबिक, प्लेन एक पेड़ से टकराया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसके बाद उसमें आग लग गई। चश्मदीद ने कहा कि विमान के देखकर हम समझ गए थे कि ये सेना के अधिकारी का प्लेन है। लेकिन यह नहीं जानते थे कि हेलिकॉप्टर में जनरल बिपिन रावत हैं।
एक स्थानीय पत्रकार सुकुमारन ने बताया, पिछले एक हफ्ते से मौसम बहुत खराब है। बहुत ज्यादा धुंध थी। हादसे वाले दिन भी मौसम की स्थिति बहुत खराब थी। यह सुलूर वायुसेना अड्डे से केवल 87 किमी दूर था।
ऐसी आवाज थी, लगा धरती फट रही है कृष्णा मूर्ति नाम के चश्मदीद ने बताया, आवाज इतनी तेज थी कि मुझे लगा कि पृथ्वी फट रही है। अचानक हेलिकॉप्टर नीचे आ रहा था। जिन दो व्यक्तियों को हमने बचाया, उनमें बहुत कम जीवन बचा था। स्थानीय लोगों के मौके पर पहुंचने और दो लोगों को बचाने के तुरंत बाद तमिलनाडु पुलिस, फायर और सेना के अधिकारी मौके पर पहुंचे और 12 शवों को वेलिंगटन हॉस्पिटल ले गए।
हादसे वाली जगह पर रहने वाले पी कृष्णसामी ने कहा कि वह घर पर थे। तभी उन्होंने हेलिकॉप्टर की तेज आवाज सुनी। उन्होंने कहा, मैं बाहर भागा और देखा कि हेलिकॉप्टर नीचे की घाटी में गिर रहा है। वह एक पेड़ से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लोगों को हेलिकॉप्टर से बाहर निकलते देखा। वे मदद के लिए चिल्ला रहे थे। चूंकि आग बहुत बड़ी थी। हम मलबे के पास नहीं पहुंच सके।
चश्मदीद पी चंद्रकुमार ने कहा, शुरू में सोचा था कि एक एलपीजी सिलेंडर में विस्फोट हुआ था। वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज की ओर जाने वाले हेलिकॉप्टर आमतौर पर बस्ती के ऊपर से उड़ान भरते हैं। लेकिन दुर्घटना के समय भारी बादल छाए हुए थे। हेलिकॉप्टर क्रैश पास के एक घर या बस्ती में हो सकता था। ऐसे में मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हो सकती थी। अगर यह हमारे घरों में दुर्घटना हो जाती।
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