Election: कहीं LJP का सुर न बिगाड़ दे 143 सीटों का राग, सियासी गणित में नहीं बैठ रहे फिट मंसूबे

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पटना: राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में रहते हुए लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर अब 143 सीटों पर लडऩे की हवा देने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) अपनी रणनीति का खुलासा भले न कर रही हो, लेकिन आंकड़े गवाह हैं कि उसके ऐसे मंंसूबों ने हमेशा मुंह की खाई है। अवसरवादी राजनीति का ठप्पा लगवा चुकी पार्टी के इस बार के तेवर को न तो एनडीए कोई तवज्जो दे रहा है और न ही महागठबंधन। एलजेपी की कमान संभाले युवा चिराग पासवान के रवैये से जनता दल यूनाइटेड (JDU) में बेहद आक्रोश है और उसके बिना चुनाव में उतरने का मन बनाए है।

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हर तरह से दांव आजमा चुकी एलजेपी: बिहार में एलजेपी हर तरह से दांव आजमा चुकी है, अकेले भी लड़कर व गठबंंधन के सहारे भी, लेकिन नतीजे कुछ खास नहीं रहे। पिछले 15 साल में हुए चार चुनावों में एलजेपी के आंकड़े ऐसे नहीं रहे जो उसे सहयोगियों पर दबाव बनाने की स्थिति में ला सकें। 2005 में फरवरी में हुए चुनाव में लालू विरोधी लहर के दौरान जरूर वह कुछ फायदे में रही, जिसमें 178 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर 29 सीटें जीतने में सफल रही। अब तक के सर्वाधिक 12.62 फीसद वोट भी उसी चुनाव में मिले। हालांकि, वह जीत काम नहीं आई। सरकार ही नहीं बनी और विधानसभा भंग कर दी गई।

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