नब्बे के दशक की मशहूर अभिनेत्री और सलमान खान की पूर्व प्रेमिका सोमी अली काफी लंबे समय से अपने एनजीओ ‘नो मोर टीयर्स’ के माध्यम से घरेलू हिंसा और बलात्कार के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए अथक प्रयास करती आ रही हैं। सोमी अली कहती है कि जब भी कोई बच्चा उन्हें बचाने के लिए धन्यवाद देता है, तो उन्हें प्रेम की एक अलग ही अनुभूति होती है। प्रेम के प्रतीक दिन वैलेंटाइन्स डे को वह इन बेसहारा बच्चों के साथ ही मना रही हैं। सोमी अली कहती है कि बच्चों के चेहरे पर खुशी देखकर उन्हें बहुत आत्मिक संतोष मिलता है।
वैलेंटाइन्स डे के बारे में बात करते हुए सोमी अली कहती हैं, ‘मुझे वैलेंटाइन्स डे हमेशा उन पीड़ितों के साथ मनाना बहुत अच्छा लगता है, जिन्हें हमने बचाया है। उन बच्चों के साथ समय बिताने और प्रेम बांटने का इससे बेहतर अवसर और कुछ नहीं हो सकता है। मैंने जानबूझकर अपना कोई बच्चा नहीं पैदा किया। मेरे एनजीओ की देखरेख में रहने वाले बच्चे मेरे वैलेंटाइन हैं और उनके साथ बिताया गया दिन रोमांटिक प्रेम के लिए अतुलनीय है, क्योंकि यह मेरी मातृ प्रवृत्ति को भर देता है। मैं पिछले 17 वर्षों से अपने एनजीओ के बच्चों के साथ वैलेंटाइन्स डे मनाती आ रही हूं।’
सोमी अली कहती है, ‘प्रेम के लिए कोई शर्त नहीं होती है, यह स्वतः मन में जागृत होता है। अपने एनजीओ के बच्चों के साथ वैलेंटाइन्स डे मना कर मुझे जो प्रेम की अनुभूति होती है। यह गहरी कृतज्ञता और प्रशंसा की बिना शर्त की भावना है, जिसे शब्दों में नहीं व्यक्त किया जा सकता है। जिन बच्चों को हम बचाते हैं, उनके अंदर अपनापन और सुरक्षा की भावना होती है। जिस तरह से वे मुझे धन्यवाद देते हैं, मुझे गले लगाते हैं और मुझसे प्यार करते हैं। वह दुनिया का मेरे लिए सबसे रोमांटिक क्षण होता है।’
सोमी अली के एनजीओ में अब तक बच्चों की संख्या 200 हो चुकी हैं। वह कहती हैं, ‘मेरी कोशिश यही रहती है कि हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान हो। उनकी जरूरतों को पूरा करने की हर संभव प्रयास करती हूं। हर साल मेरे एनजीओ में ऐसे तमाम बच्चे आते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत आघात सहा है। उनके चेहरे पर एक उम्मीद और खुशी देखकर मुझे बहुत ही आंतरिक खुशी मिलती है।’
बता दें कि सोमी अली महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों से जुड़ कर काम करती हैं। वह बलात्कार और घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं के हक के लिए लड़ती हैं और उनकी मदद करती हैं। सोमी अली कहती हैं, ‘मेरा लक्ष्य इन सभी महिलाओं की मदद करना, और यह सुनिश्चित करना है कि मेरे देश और दुनिया भर में हर लड़की, महिला शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो और उसके पास अपने बुनियादी मानवाधिकार हों। इसलिए मैंने साल 2007 में ‘नो मोर टीयर्स’ नाम से एनजीओ की शुरुआत की। और, बलात्कार और घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं की मदद करने का बीड़ा उठाया।’
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