सीरिया में बने हालत पर भारत के विदेश मंत्रालय का बयान

सीरिया में बने हालत पर विदेश मंत्रालय का बयान

यूनिक समय ,नई दिल्ली। इस्लामी विद्रोहियों की ओर से सीरिया में सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही पूरी दुनिया की नजर वहां के हालात पर बनी हुई है। इस बीच घटनाक्रम के 24 घंटे पूरे हो जाने के बाद भारत ने सोमवार को देश में स्थिरता लाने के लिए सीरिया की अगुवाई वाली समावेशी और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया की वकालत की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दमिश्क में भारतीय दूतावास भारतीय समुदाय की सुरक्षा के लिए उनके साथ संपर्क में है।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह सीरिया में जारी घटनाक्रमों पर नजर रख रहा है। हम जारी घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में सीरिया के हालात पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम सभी दलों के सीरिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के संरक्षण के लिए काम करने की जरूरत पर जोर देते हैं। हम सीरियाई समाज के सभी वर्गों के हितों और आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए सीरिया के नेतृत्व में शांतिपूर्ण एवं समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया की वकालत करते हैं।

भारत काफी पहले से ही वहां के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। दो दिन पहले ही भारत सरकार ने सभी भारतीय नागरिकों के लिए देर रात एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें सलाह दी गई थी कि वे अगली सूचना तक सीरिया की यात्रा करने से पूरी तरह बचें। एडवाइजरी में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी भी साझा की गई थी।

विदेश मंत्रालय ने सीरिया में वर्तमान में सभी भारतीयों से दमिश्क में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की अपील की थी। इसके अलावा सलाह दी गई थी कि जो लोग वहां से निकल सकते हैं, वे जल्द से जल्द उपलब्ध वाणिज्यिक उड़ानों के जरिए सीरिया छोड़ दें। जो लोग ऐसा नहीं कर सकते, वे अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें और कम से कम अपने घरों से बाहर निकलें।

इससे पहले सीरिया में 20 साल तक शासन करने वाले बशर अल-असद का शासन खत्म हो गया। 13 दिन के अंदर विद्रोही बलों ने अलेप्पो से लेकर हमा तक एक के बाद एक शहरों पर कब्जा किया और फिर राजधानी दमिश्क पर धावा बोल दिया। विद्रोहियों का यह अभियान कितना बड़ा था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार-रविवार के बीच दमिश्क घेरने के बाद उसने दोपहर तक राजधानी पर कब्जा भी कर लिया। इसके बाद सीरियाई सेना के पास नेतृत्व की भारी कमी दिखी और उसके कई सैनिक बॉर्डर पार कर पड़ोसी देशों में शरण के लिए पहुंचने लगे। इस तरह विद्रोही बलों ने असद परिवार की 50 साल की सत्ता छीन ली।

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