नई दिल्ली। नए मोटर व्हीकल एक्ट के बाद बढ़े जुर्माने को लेकर काफी हंगामा मचा हुआ है। लेकिन, भारी जुर्माने के साथ कुछ अन्य प्रावधानों के बारे में जानना भी बहुत जरूरी है। खासतौर पर अपने बच्चों को साथ लेकर सफर करने वालों को। कहीं, ऐसा न हो कि बच्चे को साथ लेकर सफर करना आपके चालान का कारण बन जाए।
माता-पिता बाइक पर घर से निकलें तो ध्यान रखें कि क्या उनके साथ उनका बच्चा भी है। अगर उनके साथ मौजूद बच्चे की उम्र चार साल से अधिक है तो उसे तीसरी सवारी माना जाएगा। उसके खिलाफ नए मोटर व्हीकल एक्ट में चालान का प्रावधान है। उसे तीसरी सवारी मानकर धारा 194ए में प्रति सवारी 200 रुपये का चालान किया जाएगा। ऐसे में अगली बार ध्यान रखें कि बाइक पर चलते समय दो सवारी होने के बाद अपने साथ चार साल से ज्यादा उम्र के बच्चे को लेकर न चलें।
सीट बेल्ट भी अनिवार्य : यही नहीं, सरकार ने अब 14 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए भी कार में सफर के दौरान सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य कर दिया है। अगर वह ऐसा करता हुआ नहीं पाया जाता है तो इस श्रेणी में सेक्शन 194बी में 1000 रुपये के चालान का प्रावधान है। अगर वह सीट बेल्ट नहीं लगाता है तो उसके लिए सेफ्टी सीट जो बच्चों के लिए आती है उसका प्रयोग करना पड़ेगा।
साइलेंट जोन का ध्यान रखें : सड़क पर वाहन चलाते समय अगर फोन पर बात करते हुए पकड़े गए तो मोटर व्हीकल एक्ट में 5000 रुपये के चालान का प्रावधान है। ऐसे में कई बार आप वाहन को सड़क किनारे लगाकर फोन पर बात करते हैं। मगर, अगर आप वाहन को सड़क किनारे लगाकर फोन पर बात करने की सोच रहे हैं तो पहले यह भी देख ले कि वह साइलेंट जोन में तो नहीं आता है। क्योंकि, साइलेंट जोन में अगर आप ने फोन का प्रयोग किया तो भी आपको 1000 रुपये का चालान किया जा सकता है। साइलेंट जोन में हॉर्न बजाने पर भी 1000 रुपये के चालान का प्रावधान है।
जनता-पुलिसकर्मियों को जागरूक नहीं किया गया
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि नए यातायात नियमों का उद्देश्य सिर्फ भारी-भरकम चालान काटकर राजस्व एकत्र करना नहीं है। इसका मकसद सड़क हादसों पर रोक लगाना है।
हालांकि, पिछले कुछ दिनों से जिस तरह लाखों रुपये के चालान काटे जाने की खबरें आ रही हैं, उससे यही लग रहा है कि नए नियम सिर्फ पैसा एकत्र करने का जरिया बन रहे हैं। इसी कारण लोगों में भी गुस्सा है। इसके पीछे जो सबसे बड़ा कारण आ रहा है, वह यह है कि न ही पुलिसकर्मी और न ही जनता को नए नियम लागू करने से पहले अच्छी तरह जागरूक किया गया।
संसदीय कमेटी ने चेताया था : मोटर व्हीकल एक्ट (संशोधित) पर को लेकर बनी संसदीय कमेटी ने सुझाव दिया था कि नए नियम लागू करने से पहले तकनीकी चीजों के बारे में जनता और पुलिस को जागरूक किया जाए। साइन बोर्ड, सिग्नल, डिवाइडर, स्पीड जैसी छोटी-छोटी जानकारी लोगों को दें। वहीं, ट्रैफिक कर्मियों को भी ट्रेनिंग दी जाए। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं।
संकेतकों की जानकारी नहीं
सड़क यातायात शिक्षण संस्थान (आईआरटीई) ने 2017 में दिल्ली की सड़कों पर लगे संकेतकों का अध्ययन किया था। उसकी रिपोर्ट के अनुसार, 75 प्रतिशत संकेतक इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों पर खरे नहीं उतरे। लोग ही नहीं, पुलिसकर्मियों को भी इनकी बेहद कम जानकारी थी।
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