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आज जमाना कहां से कहां पहुंच गया है। विज्ञान और तकनीक के इस युग में हर चीज का समाधान निकलकर आया है, मगर अंधविश्वास, कुरीतियों, कुप्रथाओं और अजीबो-गरीब रस्मो-रिवाज व परंपराएं आज भी देखने को मिल जाती हैं। ऐसा भी नहीं है कि यह कहीं आदिवासी क्षेत्र का मामला है।
दरअसल, तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर दूर एक गांव है अंडमान। इस गांव में लोग नंगे पैर रहते हैं। चाहे कितनी भी गर्मी हो और जमीन तप रही हो या फिर कितनी भी सर्दी हो और जमीन जम रही हो, बच्चे-बूढ़े या फिर जवान, सभी को गांव की सड़कों पर नंगे पैर रहना अनिवार्य है। ऐसा जो नहीं करता है, उसे सख्त कड़ी सजा भी दी जाती है।
दावा किया जाता है कि यहां रहने वाले लोग अपने पूरे गांव को मंदिर मानते हैं। मंदिर मानने की वजह से ही वे यहां चप्पल पहनकर चलने को अशुभ मानते हैं। उनका कहना है कि इससे देवता नाराज होंगे और इन्हें इसके कोप का भाजन बनना पड़ेगा। इसलिए घर में अंदर जैसे ही कोई सड़क पर आता है, तो चप्पल हाथ में पकड़ लेता है और नंगे पैर चलता है।
इस गांव में 130 परिवार रहते हैं। यहां सभी अपनी मनमर्जी से पूरे गांव को मंदिर मानते हैं। उनका कहना है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। हां, बीमार या बेहद बुजुर्ग का ख्याल रखा जाता है और ऐसे में अगर मौसम अनुकूल नहीं हो तो उन्हें इससे छूट दी जाती है, क्योंकि ऐसा करने से भगवान नाराज नहीं होते। गांव में ज्यादातर लोग किसान है और खेती व पशुपालन उनका मुख्य पेशा है।
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