नई दिल्ली। स्कूलों में लंबी छुट्टियों के कारण संवेदनशील बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि स्कूलों के बंद रहने के कारण बच्चों की मानसिक परेशानियों में इजाफा हो सकता है। दुनियाभर में बच्चे और किशोर इस वक्त स्कूल की बंदी, परीक्षाओं के रद्द हो जाने और दोस्तों से आमने-सामने न मिल पाने की परेशानियों को झेल रहे हैं।
रोजमर्रा का रूटीन गड़बड़ाने के कारण बच्चों के दिमाग पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। साइकोथेरेपिस्ट का मानना है कि अगर लॉकडाउन लंबे समय तक जारी रहा तो बच्चों को कई तरह की मानसिक परेशानियां हो सकती हैं. अमेरिका में बच्चों ने बड़ी संख्या में चाइल्डलाइन से मदद मांगी है।
इन वजहों से बच्चों में बढ़ रहा है तनाव
परीक्षाएं टलने से दोबारा तैयारी को लेकर परेशानी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ नताशा डेवन ने कहा, जेनेरेशन जेड उन चीजों से जुड़े रहने की कोशिश करती है जिसको वो नियंत्रित कर सकती है. इनमें शरीर के आकार और शैक्षणिक प्रदर्शन को लेकर उग्र व्यवहार देखा जा सकता है. परीक्षाएं टलने की वजह से भी बच्चे तनावग्रस्त हो गए हैं।
अभिभावकों के झगड़ों ने किया बच्चों को परेशान!
घरों में बढ़ते झगड़ों से परेशान हैं बच्चे विशेषज्ञ एलिसन ने कहा कि ज्यादातर बच्चे स्कूल से मिलने वाले समर्थन से कट गए हैं और ऐसे में घर में अभिभावकों के बीच बढ़ रहे झगड़ों से भी उनका तनाव बढ़ रहा है. ऐसे बच्चों के अकेलेपन की भावना घर करती जा रही है. जो बच्चे पहले से तनाव से से गुजर रहे हैं, उनके लिए ये वक्त घातक सिद्ध हो सकता है।
बच्चों का तनाव ऐसे होगा कम
विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल बच्चों की लाइफलाइन की तरह काम करता है. बच्चों को इससे दूर कर देने से उनकी परेशानी बढ़ सकती है. इस समय में बच्चों को काउंसिलिंग करना बेहद जरूरी है. इसके साथ ही ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से उनकी पढ़ाई जारी रखने से बच्चों का तनाव से राहत मिल सकती है।
बड़े बच्चों को ज्यादा नुकसान द एसोसिएशन फॉर चाइल्ड साइकोथेरेपिस्ट की विशेषज्ञ एलिसन रॉय ने कहा, स्कूल का लंबे समय तक बंद रहना बड़े बच्चों के लिए ज्यादा नुकसानदेह है. इससे उनके ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी आ रही है. वहीं, छोटे बच्चे अपने हमउम्र दोस्तों के साथ आमने-सामने नहीं खेल पाने के कारण मानसिक दबाव महसूस कर रहे हैं. इस वजह से सभी बच्चों को ऑनलाइन दुनिया का सहारा लेना पड़ रहा है. वे बच्चे ज्यादा खतरे में हैं जो पहले से ही थोड़ा कम बोलते हैं और कम घुलते-मिलते हैं. ये बच्चे काफी ज्यादा मानसिक तनाव झेल रहे हैं. विशेषज्ञ ने देखा कि लॉकडाउन शब्द के कारण उन बच्चों को काफी झटका लगा है, जो पहले से ही किसी प्रताड़ना से उबरने की कोशिश कर रहे थे।
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