यूनिक समय, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के चेयरमैन, मनु भाई परमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में परमार की नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि जब वे एक IAS अधिकारी थे, तब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में विजिलेंस जांच चल रही थी और एक FIR भी दर्ज हुई थी, जो अभी तक लंबित है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि राज्य सरकार ने इन तथ्यों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें इतना महत्वपूर्ण पद दिया है।
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और मनोज मिश्रा की बेंच ने याचिकाकर्ता वकील ब्रजेश सिंह की जनहित याचिका पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एक वकील का BPSC से कोई संबंध नहीं है, इसलिए उन्हें ऐसी याचिका दायर करने से बचना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने याचिका में उठाए गए मुद्दों की गंभीरता को देखते हुए मामले की सुनवाई करने का फैसला किया और अपनी सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया।
याचिका के अनुसार, BPSC चेयरमैन मनु परमार पर भ्रष्टाचार और जालसाजी के गंभीर आरोप हैं और उनके खिलाफ पटना की एक विशेष अदालत में मामला चल रहा है। याचिकाकर्ता का दावा है कि परमार इस संवैधानिक पद के लिए बुनियादी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं, क्योंकि वे एक बेदाग छवि वाले व्यक्ति नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल बिहार सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है और कोर्ट इस पर क्या फैसला लेता है। इस मामले की अगली सुनवाई मार्च में होने की संभावना है।
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