सुप्रीम कोर्ट का फैसला: होमगार्डो की बल्ले—बल्ले, कॉस्टेबल के बराबर होगा वेतनमान!

क्या होमगार्डों को पुलिसकर्मियों के समान वेतन मिलना चाहिए? क्या … पुलिसकर्मियों की तरह हर दम ड्यूटी पर उनका साथ देने वाले होमगार्डों को उनके समान वेतन क्यों नहीं? सर्दी हो या … लेकिन उन्हें एक दिन का वेतन केवल 250 रुपये ही मिलते हैं।

लखनऊ। पुलिसकर्मियों की तरह हर दम ड्यूटी पर उनका साथ देने वाले होमगार्डों को उनके समान वेतन क्यों नहीं। सर्दी हो या बरसात या फिर तेज धूप चौराहों पर कड़ी मेहनत करके ड्यूटी करने वाले होमगार्डों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। राजधानी में तैनात होमगार्डों का नाम न छापने के शर्त पर कई होमगार्डों ने बताया उनकी ड्यूटी लगाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है। वहीं, एएसपी ट्रैफिक हबीबुल हसन का इस संबंध में कहना है ये आरोप गलत हैं अगर किसी को समस्या आ रही है तो हमसे आकर मिले और परेशानी बताये उसकी समस्या का हल किया जायेगा। होमगार्डों की समस्या को लेकर दायर याचिका पर इलाहबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूंछा है की होमगार्डों को सिविल पुलिस के बराबर वेतन देने में क्या परेशानी है। होमगार्ड जवानों के लिए सर्विस रुल क्यों नहीं बनाया जा रहा है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से 11 जनवरी से पहले जबाव मंगा है। इस याचिका पर कोर्ट 11 जनवरी को फिर सुनवाई करेगीअनिल कुमार व अन्य लोगों की और से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस बी अमित स्थालेकर ने दिया था। याचिका में यह कहा गया है कि होमगार्ड सिविल पुलिस के सामान कार्य करते हैं। लेकिन उन्हें एक दिन का वेतन केवल 250 रुपये ही मिलते हैं। बल्कि होमगार्ड जवानों की ड्यूटी नियमित नहीं होती है उन्हें साल में करीब छह या सात माह ही ड्यूटी मिलती है और प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जाता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अन्य राज्यों में होमगार्ड को ड्यूटी अलाउंस और न्यूनतम वेतन तय कर दिया है लेकिन प्रदेश में होमगार्डों को न्यूनतम वेतन से वंचित किया गया है। होमगार्डों की भी कई समस्याएं है उनकी समस्यायों को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन भी हुए लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो पाया। इंडियन युवा क्रांति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर सम्पूर्णानन्द पाण्डेय ने कहा होमगार्डों की समस्या बेहद गंभीर है। यूपी में होमगार्ड सिपाहियों से ज्यादा काम करते हैं लेकिन उनका हक हमेशा मारा जाता है। उन्होंने कहा बेचारे होमगार्ड ड्यूटी लगवाने के लिए भी रुपये देते हैं और अक्सर वसूली का आरोप भी होमगार्डों पर लगता है इस लिए होमगार्डों को पुलिस के समान वेतन दिया जाना चाहिए यह उनका हक है। लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति एवं सामाजिक कार्यकर्ता रुपरेखा वर्मा ने कहा मेहनत होमगार्ड भी सिपाहियों की तरह ही करते हैं इसलिए प्रदेश सरकार को होमगार्डों के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें भी सिपाहियों के समान वेतन दिया जाना चाहिए यह उनका हक है। आईजी अमिताभ ठाकुर ने कहा हाईकोर्ट का फैसला सही है। जब होमगार्ड सिपाहियों के समान कार्य करते हैं तो उन्हें भी उतना ही वेतन दिया जाना चाहिए। क्योकि पुलिस कर्मियों से साथ होमगार्ड कंधे से कंधा मिलकर चले आ रहे हैं इस लिए वह समान वेतन के अधिकार रखते हैं।

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