नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सतर्कता आयुक्त के वी चौधरी और सतर्कता आयुक्त टी एम भसीन की नियुक्ति को सही करार दिया। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति में दखल देने का कोई आधार नहीं। आपको बता दें कि एनजीओ कामन कॉज ने आरोप लगाया था कि दोनों का रिकॉर्ड बेदाग नहीं है। लेकिन नियुक्ति के समय इसकी उपेक्षा की गई है।
इस मामले की पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो राजनीतिक पक्षपात के पहलू पर गौर नहीं करेगा, लेकिन केवल इस बात की जांच करेगा कि केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों के पदों पर नियुक्त व्यक्ति बेदाग छवि होने का मानदंड पूरा करता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में दायर एक याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें सीवीसी के वी चौधरी और सतर्कता आयुक्त वीसी टी एम भसीन की नियुक्ति पर यह आरोप लगाते हुए चुनौती दी गई थी कि उनका साफ रिकॉर्ड नहीं है और उनकी नियुक्ति के दौरान अपारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया गया।
चौधरी को सीवीसी पद पर छह जून 2015 को जबकि भसीन को 2015 में 11 जून को वीसी नियुक्त किया गया था। कोर्ट ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और नेता प्रतिपक्ष वाली चयन समिति द्वारा किया गया फैसला सर्वसम्मति से किया गया। वेणुगोपाल ने कहा हां. यह प्रशासनिक फैसला था। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि चौधरी के खिलाफ कई ज्ञापनों के बावजूद सरकार ने उन्हें CVC के रुप नियुक्त किया क्योंकि वह उनके पसंदीदा उम्मीदवार थे। हालांकि कोर्ट ने कहा कि उसके सामने सवाल यह है कि इन पदों पर नियुक्त व्यक्ति बेदाग छवि के हैं या नहीं। पीठ ने कहा सवाल बेदाग छवि का है, राजनीतिक पक्षपात का नहीं. व्यक्ति बेदाग छवि का होना चाहिए। हम इस पहलू पर गौर करेंगे।
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