- सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन खतरों की सबसे ज्यादा मार किशोरों पर पड़ रही है।
- 54% के साथ भारत सबसे आगे इंटरनेट पर अफवाहों के मामले में
- 64% भारतीयों का सामना फर्जी खबरों से हुआ
- 57% है यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर
नई दिल्ली। इंटरनेट पर फर्जी खबरें चलने के मामले पर भारत शीर्ष पर है। यह खुलासा हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के वैश्विक सर्वे में हुआ था। सर्वे 22 देशों में किया गया था।
गणेश जी पीने लगे दूध सितंबर 1995 में सुबह भगवान गणेश की मूर्ति के चम्मच से दूध पीने की खबर सबसे ज्यादा चर्चा में रही। मंकी मैन साल 2001 में ‘मंकी मैन’ की अफवाह ने जोर पकड़ा। यह इतनी चर्चित हुई कि प्रकरण पर दिल्ली-6 फिल्म भी बनी। मुंहनोचवा साल 2002 में यूपी में मुंहनोचवा का खौफ फैला। कहा गया वह मुंह नोचकर जाता है और जख्म ठीक नहीं होते। मीठा समुद्र साल 2006 में अफवाह फैली समुद्र का पानी मीठा हो गया है। इस चक्कर में हजारों लोग मुंबई के समुद्र तट पर जुट गए थे। नमक खत्म साल 2016 में नोटबंदी के दौरान बाजार से नमक खत्म होने की अफवाह फैली। कई राज्यों में नमक खरीदने वालों की लंबी लाइनें लग गईं।
फर्जी खबरें रोकने की कवायद
फेसबुक, ट्विटर, गूगल जैसी कंपनियों ने अकाउंट डिलीट किए। चेतावनी देनी शुरू की।
अफवाह फैलाने वाले यूजर के वेबसाइट से किसी भी तरह के भुगतान पर रोक लगाई। भारत में व्हाट्स एप ने एक मैसेज को एक साथ पांच लोगों तक ही भेजने की सीमा तय की। श्रीलंका में डिलीट फेक न्यूज अभियान।
कैसे निपट रही दुनिया
मलेशिया : फेक न्यूज से अगर मलेशिया या मलेशियाई नागरिक को नुकसान हुआ तो इसे फैलाने वाले पर करीब 123,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना और छह साल की सजा। इसके दायरे में समाचार संस्थान, डिजिटल पब्लिकेशन और सोशल मीडिया भी आते हैं।
सिंगापुर : इस साल मई में कानून बना कि कोई ऑनलाइन फर्जी खबर फैलाने या प्रकाशित करने का दोषी पाया जाता है तो उसे 10 साल की जेल हो सकती है और साथ में 5 करोड़ 14 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
फिलीपींस : 1 जुलाई को एंटी फेक न्यूज बिल वहां की संसद में पेश किया गया। ऑनलाइन फर्जी खबरों के प्रसार या प्रकाशन और लोगों को गुमराह करने पर छह साल की सजा और करीब सात लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
फर्जी खबरों को इन 10 तरीकों से पहचानें
1.रिवर्स इमेज सर्च प्रयोग कर तस्वीर की सत्यता जांचें
2.क्या कोई तथ्य की जांच करने वाली साइट ने ऐसी सूचनाओं की जांच की है
3.खबर या सूचना पर आपकी भावनात्मक प्रतिक्रिया क्या है
4.क्या सूचना या कहानी विभिन्न स्रोतों का हवाला देती है
5.क्या यह अन्य समाचार आउटलेट्स में दिखाई देता है
6.क्या खबर या कहानी की तारीख इस पर है
7.खबर का शीर्षक या सूचना का मुख्य संदेश क्या है
8.खबर यह कहानी में क्या जानकारी दी गई है
9.वेबसाइट ने पिछली बार किन शीर्षकों का इस्तेमाल किया था
10.खबर गुणवत्ता स्रोतों से जुड़ी है।
इंटरनेट पर फर्जी खबर रोकने में सभी लोग बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। ट्विटर उनको उत्साहित करता है।जो सही तथ्य देते हैं।
—ट्विटर प्रवक्ता
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