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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार खबरदार हो जाएं. अगर उम्मीदवारों पर कोई भी क्रिमिनल केस दर्ज है तो वो उसे छिपा नहीं पाएंगे. छिपाना तो दूर अब तो अखबार और टीवी पर विज्ञापन देकर खुद ही बताना होगा कि मैं अपराधी हूं और मैरे ऊपर फलां-फलां केस दर्ज हैं।विज्ञापन भी कोई एक बार नहीं, तीन बार देना होगा. तभी आपकी उम्मीदवारी सही मानी जाएगी. ऐसा न करने पर चुनाव आयोग आपके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकता है. इतना ही नहीं सियासी दलों को भी अपने उम्मीदवारों के इस तरह के विज्ञापन टीवी और अखबार में देने होंगे। नेशनल इलेक्शन वाच और एडीआर की एक रिपोर्ट पर गौर करें तो 2014 की लोकसभा में हर तीसरे सांसद पर क्रिमिनल केस दर्ज था. रिपोर्ट बताती है कि जनता द्वारा चुनकर संसद पहुंचे कुल 34 प्रतिशत (186) सांसदों ने अपने श्पथ पत्र में खुलासा किया था कि उन पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं. वहीं 2009 की संसद में ऐसे सांसदों की संख्या थी 30 प्रतिशत थी।
वहीं एक रिपोर्ट ये भी बताती है कि देशभर में 4856 विधायक और सांसद अपराधिक केस वाले हैं. इनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे गंभीर केस दर्ज हैं। एडीआर के अनुसार ही पिछले पांच साल में पार्टियों ने महिलाओं पर आपराधिक मामले वाले 334 लोगों को टिकट दिया. इनमें से 40 लोकसभा और 294 विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी थे. इस दौरान महिलाओं पर आपराधिक मामले वाले 122 निर्दलीयों ने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़े।
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