बिहार विधानसभा के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव का गणित नीतीश कुमार पर भारी पड़ सकता है। चुनाव में तेजस्वी ने जो गणित बैठाया है वो गणित बीजेपी के लिए राहत औऱ जदयू के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। राजद ने साल 2015 में नीतीश कुमार के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया था औऱ कुल 101 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें से 80 सीटों पर राजद उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।
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इस चुनाव में राजद ने 144 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। महागठबंधन की सबसे मजबूत पार्टी कही जा रही राजद का मुकाबला ज्यादातर सीटों पर सीधे जदयू से है। एनडीए में सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला तय हुआ है उसके तहत जदयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बीजेपी की 110 सीटों में से महज 51 सीट पर राजद से सीधा मुकाबला है। जाहिर है ऐसे में बीजेपी के लिए बाकी बचे अपने 59 सीटों पर जीत की राह आसान होगी। हालांकि राजद का तर्क है कि जमीनी हकीकत को देखते हुए ही पार्टी ने विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के सीएम कैंडिडेट हैं। राजद की हर सीट का अपना सामाजिक गणित है। तगड़ा मुकाबला होगा और प्रत्येक सीट पर जीत का अंतर 2,000 से 5,000 मतों का होगा।
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इस चुनाव में लोकजन शक्ति पार्टी खुलेआम बीजेपी प्रत्याशियों को सपोर्ट कर रहे हैं नीतीश पर निशाना साध रहे हैं। हालांकि जदयू तेजस्वी के इस गणित को लेकर ज्यादा चिंतित नजर नहीं आती। पार्टी नेताओं का मानना है कि राजद के इस गेम प्लान से बड़ा नुकसान नहीं होगा। पार्टी का कहना है कि राजद हमें बड़ी चुनौती मानता है और इससे जाहिर होता है कि अब आगे बढ़ रहे हैं…जनता तय करेगी कि नीतीश कुमार को कुर्सी सौंपेगी या नहीं बाकी सारे कयास बेमतलब हैं।
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