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नई दिल्ली। आज सिनेमाघरों में फिल्म Marakkar रिलीज हो गई है। फिल्म का निर्देशन प्रियदर्शन ने किया है। थिएटर पर रिलीज होने के लिए इस वॉर फिल्म को काफी जद्दोजहद से गुजरना पड़ा है। आखिरकार 2 दिसंबर को मेकर्स की मेहनत रंग लाई और अब फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफलता के झंडे लहरा दिए।
कोरोना की वजह बंद हुए थिएटर्स के हालात देखते कई मेकर्स ने अपनी फिल्मों को डिजिटल रिलीज कर दिया है, तो वहीं कुछ मेकर्स ऐसे भी रहे हैं जिन्होंने थिएटर खुलने का दो साल का लंबा इंतजार किया है। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह फिल्म वाकई में थिएट्रिकल रिलीज डिजर्व करती है। क्योंकि इसके विजुअल्स वाकई में जानदार बन पड़े हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि फिल्म ने रिलीज से पहले ही 100 करोड़ की कमाई कर ली है। इसकी वजह है फिल्म की एडवांस बुकिंग।
इस पीरियड ड्रामा की कहानी का ताना-बाना इस तरह बुना गया है कि इसके मेन लीड मोहनलाल कुंजाली मराक्कर जो Kozhikode के राजा के चीफ कमांडर के किरदार में हैं. प्रणव मोहनलाल जिन्होंने यंगर किरदार निभाया है, ने बचपन में अपनी मां और पूरे परिवार की मौत के सदमें से गुजरे हैं. धीरे-धीरे वहां के लोगों का मसीहा बन जाते हैं. वे प्रजा के हक के लिए लड़ते हैं। Kozhikode का राजा आगे चलकर Portuguese से लड़ने के लिए कुंजाली की मदद लेता है।
कहानी के पैरलल में कुंजली का सहायक चिन्नाली (जय जे जाकृत) अर्चा(कीर्ति सुरेश) के प्यार में है, जो उसके लिए बड़ा झटका होता है। कुंजली और उनपर विश्वास करने वाले लोगों के साथ क्या होता है, कहानी की शुरुआत यहीं से होती है।
डायरेक्टर प्रियदर्शन के निर्देशन की बात करें, तो उन्होंने फ्रीडम फाइटर कुंजली मराक्कर की कहानी बुनने में जबरदस्त काम किया है। फिल्म ने पहले ही बता दिया है मराक्कर की जिंदगी के कई हिस्टॉरिकल फैक्ट्स बहुत क्लीयर नहीं है लेकिन प्रियदर्शन और एनी शशि ने ऐतिहासिक तथ्यों को फिक्शन के साथ बखूबी ब्लेंड किया है।
फिल्म्स के विजुअल की बात की जाए, तो फैंस के लिए यह एक बेहतरीन ट्रीट है। मॉलीवुड का सबसे एक्सपेंसिव फिल्म ने अपने विजुअल इफेक्ट्स पर उम्दा काम किया है। अगर आने वाले समय में फिल्म अपने स्पेशल इफेक्ट्स के लिए नैशनल अवॉर्ड्स जीतती है, तो इसमे कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी. कंप्यूटर ग्राफिक्स इंटरैशनल स्टैंडर्ड के मानकों पर खरे उतरते हैं. खासकर जमोरियन और पुर्तगालियों के बीच की लड़ाई का सीक्वेंस जबरदस्त तरीके से पेश किया गया है.
फिल्म में कुछ कमियां भी हैं। फिल्म का स्क्रीनप्ले आपको थोड़ा निराश कर सकती है. पहला हाफ सुस्त है. कंटीन्यूटी को लेकर भी दिक्कत है, कुछ सीन्स में इसे इग्नोर किया गया है. कई बार फिल्म की पकड़ ढीली पड़ती है, मेकर्स को इसपर ध्यान देना चाहिए था क्योंकि क्लाइमैक्स के लिए दर्शकों का 3 घंटे तक एक जगह बैठना मुश्किल है. कई ऐसे सीन जो दर्शकों पर इंपैक्ट डाल सकते थे, वो रोमांच नहीं जगा पाते हैं।
मोहन लाल ने कुंजली मराक्कर के किरदार में पावरपैक्ड परफॉर्मेंस दी है। एक सीन जहां, वे रो पड़ते हैं, उनकी इंटेंस एक्टिंग निखर कर आई है. मोहन के लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि वे देश के सर्वश्रेष्ठ एक्टर्स में से एक हैं. सिद्दीकी, प्रभू, अर्जुन सरजा, हरिश, पेराडी, अशोक सिल्वान, मंजू वॉरियल और कीर्ति सुरेश ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है
टेक्निकल पहलू की बात करें, तो मराक्कर टेक्निकली बहुत ही परफेक्ट फिल्म है। सिनेमैटोग्राफर तिरू ने एक्सेप्शनल काम किया हैं। एडिटिंग की है एमएस अय्यप्पन नायर ने। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के मूड को दर्शाता है. फिल्म को एक ट्राई देना बनता है।
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