नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और कोरोना केस को देखते हुए पटाखों को पूरी तरह से बैन कर दिया है। 7 से 27 नंवबर तक के लिए खरीदने-बेचने और चलाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई है। बैन तोड़ने पर एक लाख रुपये का जुर्माना भरना होगा। लेकिन सरकार के इस फैसले से पटाखा बाज़ार सहम गया है. करोड़ों रुपये का माल दुकान और गोदामों में रखा रह गया है। पटाखा मैन्युफैक्चरिंग करने वाले पहले ही पटाखे बेच चुके हैं। अब थोक और रिटेल का काम करने वाले दुकानदारों की मोटी रकम पटाखों में फंसी हुई है। जामा मस्जिद इलाके में पटाखे बेचने वाले ऐसे ही एक दुकानदार ने बताया कि वो अपनी बेटी की शादी के लिए रखे पैसे को ग्रीन पटाखे में लगा चुके हैंं
आपको बता दें कि शुरुआत में पटाखों पर बैन की मांग राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण और इससे कोरोना महामारी के और गंभीर शक्ल लेने की आशंकाओं के चलते उठाई गई थी। दूसरे राज्यों में भी इसी तरह की मांग उठी तो एनजीटी ने मामले का दायरा बढ़ा दिया और इसमें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी शामिल कर लिया। सिर्फ उन राज्यों को छोड़कर जहां हालात के मद्देनजर पहले ही पटाखे जलाए जाने और उनकी बिक्री पर रोक लगा दी गई है। सबसे पहले ओडिशा और राजस्थान से इसकी शुरुआत हुई। बाद में दिल्ली सरकार ने भी यहां 7 नवंबर से लेकर 30 नवंबर के बीच पटाखे जलाए जाने पर बैन लगा दिया. वेस्ट बंगाल में कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस संबंध में आदेश जारी किया है।
मुनाफे की सोचकर लगाए थे दहेज के पैसे, अब क्या करूं…दिल्ली में ग्रीन पटाखों का कारोबार करने वाली दीपक जैन अपनी दुकान पर बहुत उदास और परेशान बैठे थे. उन्होंने बताया कि “पहले तो सरकार ने कहा कि इस बार ग्रीन पटाखे बेचे जा सकते हैं. इसलिये 4 से 5 लाख तक के पटाखे ख़रीद कर बेचने बैठ गए।
इसमें से अभी सिर्फ़ 20 से 25 हज़ार रुपये तक की बिक्री ही हुई है….आगे माल बेच पाते उससे पहले ही दिल्ली सरकार ने पटाखों पर पूरी तरह बैन लगा दिया। इस महीने बेटी की शादी है…. बेटी की शादी के लिये जो पैसे जमा किये थे उनमें से कुछ पटाखों पर लगा दिये।
सोचा था कि अगर बिक्री अच्छी होगी तो बेटी की शादी और भी बेहतर तरीक़े से कर पायेंगे.।लेकिन अब जब सरकार ने पटाखों पर ही बैन लगा दिया है तो जो माल ख़रीदा है वो दुकान में भरा पड़ा है।
अब क्या करें? सारे पैसे पटाखो पर खर्च हो गये हैं और अब बिक्री भी बंद। ऐसे में बेटी की शादी कर पाना मुश्किल दिख रहा है। अब तो मेरी दिल्ली सरकार से गुजारिश है कि वो हमारी मदद करे। हमे कुछ मुआवजा दे। हम इसके खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अगर सरकार को ग्रीन पटाखे बैन ही करने थे तो पहले करते. फैक्ट्री वाले अपना माल बेचकर निकल गए, फंस तो हम जैसे छोटे-छोटे दुकानदार गए हैं। अब तो बहुत नुक़सान हो गया है.”
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने गुरुवार को मामले में अपना आदेश सुरक्षित रखने से पहले संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ पटाखे बनाने वालों के संगठन को भी सुना था। इंडियन फायरवर्क मैनुफक्चरर्स असोसिएशन की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने दलीलें रखीं। एमिकस के तौर पर सीनियर एडवोकेट राज पंजवानी, केंद्र और सीपीसीबी की दलीलों पर भी गौर कियां
दिल्ली पुलिस ने पटाखे बेचने के लिए जारी किए गए सभी तरह के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं. रविवार को पुलिस मुख्यालय से जारी एक बयान में बताया गया कि राजधानी में पटाखे बेचने के सभी लाइसेंस तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिए गए हैं और NGT के निर्देशों के अनुसार आगे कार्रवाई की जाएगी. यानी इस पाबंदी के बाद भी अब अगर कोई चोरी छुपे गैरकानूनी तरीके से पटाखे बेचने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अवैध रूप से पटाखे बेचने वालों को गिरफ्तार करके पुलिस उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 286 के अलावा एक्सप्लोसिव्स एक्ट की धारा 9-बी के तहत भी केस दर्ज कर रही है।
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