विशेष संवाददाता
यूनिक समय, पसोपा (डीग, भरतपुर)/मथुरा। राजस्थान के भरतपुर जनपद की डीग व कामां तहसील का काफी हिस्सा ब्रज चौरासी कोस की यात्रा में सम्मिलित है। जहां आदि बद्री एवं कनकांचल सहित अनेक ऐसे तीर्थस्थल हैं जिनके बारे में मान्यता है कि यहां का कण-कण राधा व कृष्ण की लीलाओं का साक्षी है।
इन्हीं स्थलों को वैध-अवैध खनन से बचाने के लिए सैकड़ों संत एवं भक्तजन इन दिनों राजस्थान के भरतपुर जनपद की डीग तहसील के पसोपा गांव में धरने पर बैठे हुए हैं। उन्हीं में से बरसाना के एक संत बाबा नारायण दास सरकार की कथित लापरवाही से आजिज आकर मंगलवार सुबह टॉवर पर चढ़ गए और बुधवार दोपहर तक नहीं उतरे, तो दूसरी ओर एक अन्य संत बाबा विजय दास (65) ने दुखी होकर अपने ऊपर केरोसिन उड़ेल आग लगा ली।
उन्हें जलते हुए भागते देखकर पुलिस में हड़कम्प मच गया। दर्जन भर पुलिसकर्मी एक साथ आग बुझाने भागे, एक पुलिसकर्मी ने उन पर कम्बल डाल कर आग काबू में की, परंतु तब तक वे 80 फीसद जल चुके थे। उन्हें तुरंत भरतपुर के जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां उनकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। परिणाम यह हुआ कि इस घटना से आमजन तो क्या राजस्थान की गहलौत सरकार सकते में आ गई। प्रदेश के खान मंत्री ने सफाई दी है कि वैसे तो वहां की खानें वे पूरी तरह से वैध हैं। वे राजस्व का नियमित भुगतान कर रही हैं, फिर भी यदि वहां खनन से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस चोट पहुंचती है तो हम उनकी लीज़ ट्रांसफर करने को तैयार हैं। गौरतलब है कि जब कल 550वें दिन तक धरना-प्रदर्शन का कोई रास्ता न निकला तो बाबा विजय दास ने दुखी हो आज आत्मदाह करने जैसा निष्ठुर कदम उठा लिया।
जिससे अब उनकी जान पर बन आई है। साधु-संतों का कहना है कि यह धार्मिक आस्था से जुड़ी जगह है, इसलिए यहां वैध और अवैध, दोनों तरह के खनन बंद होने चाहिए। हालांकि, राजस्थान सरकार ने 27 जनवरी 2005 को आदेश जारी कर ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग के दोनों तरफ 500 मीटर में खनन पर रोक लगा दी थी। लेकिन फिर भी खनन जारी रहा और अब तो सरकार उससे पैसे कमा रही है।
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