नई दिल्ली। ओडिशा के बालासोर में रेल दुर्घटना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जानकारी मिल रही है कि यहां के इंटरलॉकिंग सिस्टम से छेड़छाड़ की गई थी जिसकी वजह से 275 लोगों की जान चली गई। इस भीषण रेल दुर्घटना के बाद से ही कई तरह के सवाल उठ रहे थे और ताजा खुलासे ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है। इससे साफ होता है कि इस घटना में ह्यूमन इंटरफेंस जरूर हुआ है।
रेलवे की शुरूआती जांच में इस बात सबूत मिले हैं कि रेल की पटरियों पर लगे इंटरलॉकिंग सिस्टम में जानबूझकर छेड़छाड़ की गई थी। यही वजह है कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि जो भी दोषी है, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। वहीं पीएम मोदी भी सख्त से सख्त कार्रवाई की बात कह चुके हैं। शुरूआती सबूत के आधार पर कहा जा सकता है कि यह मामला काफी गंभीर है और किसी ने जान बूझकर ऐसा किया है तो जरूर सभी बातें सामने आनी चाहिए।
इससे पहला रेल अधिकारी जया वर्मा सिन्हा ने बताया था कि “कोरोमंडल एक्सप्रेस को बहानागा बाजार स्टेशन से आगे जाने के लिए ग्रीन सिग्नल मिला था। इस ट्रेन की स्पीड लिमिट 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है। हादसे के वक्त ट्रेन की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। इसलिए ओवर स्पीडिंग का मामला नहीं है। कोरोमंडल एक्सप्रेस का सिग्नल ग्रीन था। लूप लाइन में दो मालगाड़ियां खड़ी थीं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार सिग्नलिंग में कोई परेशानी थी। कोरोमंडल एक्सप्रेस के लिए सिग्नल ग्रीन थे। यह ट्रेन लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। अत्याधिक तेज रफ्तार के चलते ट्रेन का इंजन मालगाड़ी के डिब्बे पर चढ़ गया।”
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