
यूनिक समय, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सुल्ताना बेगम की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने खुद को अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र द्वितीय के वंशज की विधवा बताते हुए दिल्ली स्थित लाल किले पर अधिकार की मांग की थी। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने टिप्पणी करते हुए पूछा कि अगर वे सच में मुगलों की वारिस हैं, तो उन्होंने केवल लाल किले की मांग क्यों की? उन्होंने यह भी कहा कि ताजमहल और फतेहपुर सीकरी भी तो मुगल काल की धरोहर हैं।
कोर्ट ने याचिका को “पूरी तरह से गलत” बताते हुए खारिज कर दिया। इससे पहले, दिसंबर 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी यह याचिका अत्यधिक देरी के चलते खारिज कर दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब यह मामला 1857 की घटनाओं से जुड़ा है और इतने वर्षों से सभी तथ्यों से परिवार अवगत था, तो अब इतने लंबे समय के बाद दावा करना न्यायसंगत नहीं है।
सुल्ताना बेगम ने अपनी याचिका में दावा किया था कि 1857 के विद्रोह के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने उनके परिवार से लाल किला जबरन ले लिया था और बहादुर शाह ज़फ़र को निर्वासित कर दिया गया था। उनका कहना था कि यह कब्जा अवैध था और अब भारत सरकार को या तो लाल किला लौटाना चाहिए या उचित मुआवज़ा देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इतनी पुरानी घटना पर अब कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता, और याचिका केवल देरी पर आधारित नहीं, बल्कि तथ्यात्मक और कानूनी रूप से भी अस्वीकार्य है।
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