इंजीनियरिंग कर लड़की इस तरह बनी 17वीं लोकसभा की सबसे युवा सांसद, हर तरफ हो रही चर्चा

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल] एक घर से लेकर देश चलाने तक ऐसा कोई भी काम नहीं है जिसे करने में महिलाएं असक्षम है। महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है। बात करें राजनीति की तो यहां भी महिलाओं का अपना अलग ही वर्चस्व रहा है। हालांकि, संसद में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव आज तक पूरा ना हुआ हो लेकिन, ओडिशा में 33 फीसद महिलाओं को संसद भेजने का वादा पूरा किया गया है। इसी के साथ चंद्राणी मुर्मू एक ऐसा नाम है जो इन दिनों खूब सुर्खियों में है।

17 वीं लोकसभा की सबसे युवा सांसद
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) में आडिशा की सात महिला सांसदों में चंद्राणी मुर्मू एक ऐसा नाम है जिसकी हर तरफ चर्चा है। यह 17वीं लोकसभा की सबसे युवा सदस्य हैं। दो साल पहले मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई करने के बाद चंद्राणी सरकारी नौकरी की तैयारी कर अपने भविष्य को सुरक्षित करने में लगी थीं। लेकिन, शायद चंद्राणी भी नहीं जानती होगी की उनके भाग्य में क्या लिखा है। उनके हाथ की यह राजनीतिक रेखा उनके पूरे आदिवासी इलाके का भविष्य बेहतर बनाने का रास्ता दिखाएगी।

तोड़ा दुष्यंत चौटाला का रिकॉर्ड 
राज्य के क्योंझर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली चंद्राणी ने महज 25 साल 11 महीने की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की है। इसी के साथ चंद्राणी ने दुष्यंत का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दुष्यंत 26 बरस की उम्र में पिछली लोकसभा के सबसे युवा सांसद थे। चंद्राणी ने 2017 में भुवनेश्वर की शिक्षा ओ अनुसंधान यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री ली और प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी कर रही थीं, जब उनके मामा ने अचानक से चुनाव लड़ने के बारे में उनसे पूछा।

आदिवासियों के लिए करना चाहती है काम
चंद्राणी का कहना है कि वह अपने लिए किसी अच्छे करियर की तलाश में थीं और वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह राजनीति में आएंगी। लेकिन क्योंझर महिला आरक्षित क्षेत्र था और बीजू जनता दल को किसी पढ़ी लिखी महिला उम्मीदवार की जरूरत थी। यही दोनों बाचे चेंद्राणी के हक में रही। इसी के साथ पढ़ा लिखा होना चंद्राणी के काम आया और अब यह युवा आदिवासी सांसद अपने क्षेत्र में शिक्षा के लिए काम करना चाहती है।

चंद्राणी के पिता सरकारी कर्मचारी
चंद्राणी का जन्म 16 जून 1994 में हुआ था। उनके पिता का नाम संजीव मुर्मू है जो कि एक सरकारी कर्मचारी है। वह अपनी बेटी के लिए कुछ इसी तरह का भविष्य चाहते थे। पढ़ा लिखा होना चंद्राणी के काम आया और अब यह युवा आदिवासी सांसद अपने क्षेत्र में शिक्षा के लिए काम करना चाहती है। गौरतलब है कि पढ़ा लिखा होना चंद्राणी के काम आया और अब यह युवा आदिवासी सांसद अपने क्षेत्र में शिक्षा के लिए काम करना चाहती है।

संपत्ति के नाम पर चंद्राणी के पास महज इतनी रकम 
उम्मीदवारी के लिए दाखिल किए गए नामांकन के पर्चों में सभी को अपनी चल और अचल संपति की जानकारी देना जरूरी होता है। चंद्राणी के पास न बंगला है, न गाड़ी, न जमीन जायदाद और न ही लंबा चौड़ा बैंक बैलेंस। उनके पास किसी कंपनी के शेयर नहीं हैं और न ही कोई भारी भरकम बीमा पालिसी है। संपत्ति के नाम पर उनके पास महज 20 हजार रुपये है। दस तोला सोने के जेवर हैं, जो उनके माता पिता ने उन्हें दिए हैं। ऐसे में एक साधारण परिवार की इस लड़की का संसद तक पहुंचना किसी सपने के सच होने जैसा है। चंद्राणी अपने क्षेत्र में कुछ नया करके जनता से मिली इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाना चाहती हैं।

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