न्यूयॉर्क के सेराक्यूज यूनिवर्सिटी में विजुअल आर्ट के प्रोफेसर सैम वॉन ऐकेन ने ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए एक ऐसा पेड़ तैयार किया जिसपर 40 तरह के फल लगते हैं.
प्रकृति में वातावरण को संतुलित करने के साथ-साथ पेड़-पौधे हमें भोजन और बाकी जरूरी चीजें भी उपलब्ध कराते हैं. इनसे हमें सब्जी, फूल, फल लकड़ी आदि प्राप्त होते हैं. हर तरह की सब्जी, फूल और फल आदि के लिए अलग-अलग किस्म के पेड़-पौधे होते हैं. प्रकृति का यह नियम है कि किसी एक पेड़ पर एक ही प्रकार का फल लगता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक जगह प्रकृति के इस नियम को तोड़ दिया गया है. जी हां, वहां एक ही पेड़ पर 40 तरह के अलग-अलग फल लगते हैं. यह सुनकर शायद बहुत से लोगों को इसपर यकीन न हो, लेकिन यह सच है. आइए जानते हैं
प्रकृति में वातावरण को संतुलित करने के साथ-साथ पेड़-पौधे हमें भोजन और बाकी जरूरी चीजें भी उपलब्ध कराते हैं. इनसे हमें सब्जी, फूल, फल लकड़ी आदि प्राप्त होते हैं. हर तरह की सब्जी, फूल और फल आदि के लिए अलग-अलग किस्म के पेड़-पौधे होते हैं. प्रकृति का यह नियम है कि किसी एक पेड़ पर एक ही प्रकार का फल लगता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में एक जगह प्रकृति के इस नियम को तोड़ दिया गया है. जी हां, वहां एक ही पेड़ पर 40 तरह के अलग-अलग फल लगते हैं. यह सुनकर शायद बहुत से लोगों को इसपर यकीन न हो, लेकिन यह सच है. आइए जानते हैं इस अनोखे पेड़ के बारे में…
न्यूयॉर्क के सेराक्यूज यूनिवर्सिटी में विजुअल आर्ट के प्रोफेसर सैम वॉन ऐकेन ने इस अनोखे कारनामे को सच कर दिखाया है. ग्राफ्टिंग तकनीक के जरिए उन्होंने एक पेड़ पर 40 किस्म के फल उगाने में कामयाबी हासिल की है. इस अनोखे पेड़ को ‘ट्री ऑफ 40’ नाम दिया गया है, जिसमें चेरी, बेर, सतालू, खुबानी आदि 40 तरह के फल लगते हैं
प्रोफेसर वॉन बताते हैं कि उन्होंने 2008 में ट्री ऑफ 40 प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. प्रोफेसर वॉन बताते हैं कि एक बार एक बगीचे में 200 तरह के पेड़ों को देखकर वो हैरान हो गए और वह बगीचा फंड की कमी के कारण काफी गंदा भी था. इसमें कई पुरानी प्रजातियों के पेड़ लगे थे. वॉन ने रिसर्च के लिए इस बगीचे को लीज पर ले लिया और यहां ग्राफ्टिंग तकनीक की मदद से रिसर्च शुरू की.
सालों की मेहनत के बाद उन्होंने ऐसा पेड़ तैयार किया, जिसमें 40 तरह के फल लगते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एकेन ने अब तक ऐसे 16 ऐसे पौधे म्यूजियम, गार्डन और कला प्रदर्शनियों आदि को को गिफ्ट किए हैं. दरअसल, ग्राफ्टिंग एक प्लांटिंग की तकनीक है जिसमें सर्दियों में पेड़ की एक टहनी को कली समेत काटकर अलग कर लिया जाता है और इसे मुख्य पेड़ में छेद करके लगा दिया जाता है.
टहनी और पेड़ को जोड़ने वाली जगह पर एक खास लेप लगाया जाता है, जिसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं. यह सब करके इस जगह पर सर्दी भर के लिए पट्टी बांध दी जाती है. इसके बाद टहनी धीरे-धीरे पेड़ से अपने आप जुड़ जाती है और इसमें फल लगने लगते हैं. इसे ही ग्राफ्टिंग कहा जाता है. साल 2014 तक प्रोफेसर ने ऐसे 16 पेड़ तैयार कर लिए थे. यह पेड़ जितना खास है उतनी ही महंगा भी है. एक ही ट्री ऑफ 40 की कीमत करीब 19 लाख रुपये है.
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