इनको 1200 करोड़ में पड़ती है आपके गुटके की पीक

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आगरा मंडल के 4 स्टेशनों व ट्रेनों की सफाई पर हर वर्ष खर्च होते 32 करोड़, ट्रेन कोच की खिड़की, गेट और प्लेटफार्म, ट्रैक पर गंदगी की सफाई में होता है खर्चा

भारतीय यात्रियों का शौक रेलवे को ‘कंगाल’ बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। पान-गुटखा खाकर सफर करने और रेलवे परिसर में गंदगी फैलाने वाले यात्रियों के कारण रेलवे का खर्च बढ़ रहा है। आगरा रेल मंडल प्रतिवर्ष स्टेशन व ट्रेनों की सफाई पर 32 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। जबकि भारतीय रेलवे साफ-सफाई पर हर वर्ष करीब 1200 करोड़ खर्च करता है।
हिंदुस्तान में पान नवाबों का शौक था। धीरे- धीरे यह शौक आम आदमी तक पहुंच गया। करीब तीन दशक से लोग पान के साथ गुटखे का भी शौक करने लगे। जब यही लोग रेल में यात्रा के लिए स्टेशन व ट्रेन में पहुंचते हैं तो उनका शौक रेलवे को भारी पड़ रहा है। यह हम नहीं रेलवे के आंकड़े कह रहे हैं। आगरा रेल मंडल में आगरा कैंट, आगरा फोर्ट, मथुरा जंक्शन व धौलपुर स्टेशनों की सफाई व इन स्टेशनों से चलने वाली ट्रेनों में सफाई का ठेका देने के लिए रेलवे प्रतिवर्ष 32 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। हालांकि, पैसेंजर की पीक मारने की आदत को छुड़ाने के लिए रेलवे करोड़ों रुपए का विज्ञापन भी देता है। परंतु इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है।

500 रुपए का जुर्माना भी नहीं आ रहा काम

सफाई ठेके पर करोड़ों खर्च करने के साथ-साथ रेलवे को सफाई में अधिक पानी का खर्च भी उठाना पड़ रहा है। यात्रियों की पीक मारने व गंदगी फैलाने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए रेलवे बोर्ड ने स्टेशन अधीक्षकों को पैसेंजर को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए हर स्टेशन पर जागरूकता पखवाड़ा चलाने को भी कहा गया है। रेलवे ट्रेन और स्टेशन परिसर में थूकने और गंदगी फैलाने पर 500 रुपए का जुर्माना लगाता है, परंतु इसके बाद भी सुधार नहीं हो रहा है।

इको-फ्रेंडली पाउच दिलाएगा निजात

रेलवे ने सफाई पर भारी-भरकम खर्च से बचने के लिए यात्रियों को बायोडिग्रेडेबल पाउच वाला पीकदान खरीदने की सुविधा देने का फैसला किया है। विभिन्न स्टेशनों पर स्टॉल लगाकर कंपनी पाउच बेचेगी। इस पाउच को यात्री जेब में रख सकेंगे। अलग-अलग साइज के इस पाउच को आप एक से ज्यादा बार भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

स्टेशनों पर सफाई पर खर्चा

आगरा कैंट–10 करोड़
आगरा फोर्ट– 7.50 करोड़
मथुरा जंक्शन– 9 करोड़

 

ट्रेनों में सफाई पर खर्चा

आगरा कैंट– 2.50 करोड़
आगरा फोर्ट– 2.50 करोड़
मथुरा जंक्शन– 65 लाख
धौलपुर जंक्शन– 6 लाख

प्रतिवर्ष लाखों का सामान कुतर जाते हैं चूहे

आगरा। गुटके की पीक के साथ-साथ रेलवे सफाई करने वाली कंपनी को रेलवे स्टेशनों से चूहों को मारने का ठेका भी देती है। आगरा कैंट, आगरा फोर्ट व मथुरा जंक्शन स्टेशनों के पार्सल घर व प्लेटफार्म पर खाने-पीने के सामान को कुतर कर चूहे बहुत नुकसान करते हैं। नुकसान पर रेलवे को व्यापारी को हर्जाना देना पड़ता है। इस नुकसान से बचने के लिए रेलवे स्टेशनों की सफाई का ठेका लेने वाली कंपनी को ही चूहों से मुक्ति का टास्क भी देती है।
पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि चूहे हमेशा से रेलवे के लिए मुसीबत बने हैं। पहले लकड़ी के गार्डर वाली रेल पटरियों को खोद कर खोखला कर देते थे। अब स्टेशनों पर सीमेंटेंड ट्रैक से वहां तो नुकसान नहीं होता, परंतु पार्सल घर और प्लेटफार्म पर रखे बुक सामान को चूहे कुतर कर लाखों का नुकसान करते हैं। कई बार चूहे कीमती सामान को भी नष्ट कर देते हैं। तीनों स्टेशनों से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपय का पार्सल बुक होता है। इसमें खाने-पीने के सामान के साथ-साथ अन्य सामान होते हैं। इन्हें सुरक्षित रखने के लिए हम ठेकेदार को चूहों से मुक्ति का भी करार करते हैं।

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