
यूनिक समय, नई दिल्ली। 44 वर्षों बाद आखिरकार न्यायालय ने दिहुली हत्याकांड में तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। यह मामला फिरोजाबाद के जसराना क्षेत्र के गांव दिहुली का है, जहां 18 नवंबर 1981 को 24 दलितों की सामूहिक हत्या की गई थी।
एडीजे विशेष डकैती कोर्ट ने इस भयावह नरसंहार में दोषी पाए गए तीन आरोपियों—कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल—को फांसी की सजा सुनाई। इसके अलावा, कप्तान सिंह और रामसेवक पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना और रामपाल पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
कोर्ट के फैसले के बाद तीनों दोषियों के चेहरे पर मायूसी छा गई और वे रोने लगे। उनके परिजनों को भी कोर्ट परिसर में देखा गया, जो भी भावुक हो गए थे। पुलिस ने दिहुली हत्याकांड के दोषियों को मैनपुरी जिला कारागार भेज दिया, जहां उन्हें क्वारंटीन बैरक में रखा जाएगा। 14 दिनों तक उनकी निगरानी की जाएगी, और इसके बाद उन्हें सामान्य बैरक में स्थानांतरित किया जाएगा।
दोषियों को फांसी की सजा के खिलाफ अपील करने का अधिकार है, और वे अगले 30 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। हाईकोर्ट सजा की समीक्षा करके निर्णय ले सकता है।
इस केस में अभियोजन पक्ष के वकील रोहित शुक्ला ने अदालत में साक्ष्य और गवाहों की मदद से फांसी की सजा की मांग की थी। अदालत ने इन दलीलों को स्वीकारते हुए यह सजा सुनाई।
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