अर्थला झील की जमीन पर बने 550 से ज्यादा मकान टूटेंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर नगर निगम और जिला प्रशासन इन अवैध निर्माणों को ढहाकर झील को खाली कराएगा। 31 मई को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान नगर निगम और जिला प्रशासन को एनजीटी के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी होगी।
कड़कड़ मॉडल निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट सुशील राघव की ओर से एनजीटी में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। उन्होंने कहा था कि झील की जमीन पर पक्का निर्माण कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। झील के खसरा नंबरों से पक्के निर्माण हटाकर उसे पूर्व स्वरूप में विकसित किया जाए।
एनजीटी ने जिला प्रशासन और नगर निगम को झील की जमीन से कब्जे हटवाने के आदेश दिए थे। अभी तक इस जमीन से कब्जे नहीं हटवाए गए हैं। बीती 10 मई को इस मामले में एनजीटी में सुनवाई हुई थी, लेकिन जिला प्रशासन ने आचार संहिता का हवाला देकर अफसरों और पुलिस की व्यस्तता बताते हुए मोहलत मांगी थी। अब एनजीटी ने 31 मई से पहले झील की जमीन खाली कराने को कहा है।
जिला प्रशासन और नगर निगम को 31 मई को होने वाली सुनवाई के दौरान अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी होगी। नगर निगम और जिला प्रशासन पुलिस की मौजूदगी में अब 25 मई के बाद बड़े स्तर पर अभियान चलाकर झील की जमीन पर हुए पक्के निर्माण को ढहाने की कार्रवाई की तैयारी कर रही है। इसके लिए एसएसपी से पुलिस बल मांगा गया है। एनजीटी ने इस क्षेत्र की कार्रवाई से पहले और बाद में वीडियोग्राफी कराने के भी आदेश दिए हैं।
अफसरों की नाक के नीचे हो गया पक्का निर्माण
झील की जमीन पर प्लाटिंग और निर्माण चोरी-छिपे नहीं हुआ है। भूमाफियाओं ने यहां बेखौफ होकर कालोनियां बसाई हैं। 5 से 15 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से झील की जमीन बेच दी गई। नगर निगम और जिला प्रशासन से सैकड़ों बार इसकी शिकायत भी हुई, लेकिन अफसरों ने आंख-कान बंद किए रखे। देखते-देखते यहां 550 से ज्यादा मकानों की घनी कालोनी बस गई। मौजूदा समय में इन मकानों में करीब 25 हजार से ज्यादा की आबादी रह रही है।
एनजीटी ने झील की जमीन को खाली कराने के आदेश दिए हैं। जिला प्रशासन के नेतृत्व में कार्रवाई की जानी है। 31 मई को इस मामले में एनजीटी में अनुपालन आख्या पेश की जानी है। झील की जमीन को जल्द ही खाली कराई जाएगी।
– आरएन पांडेय, संपत्ति अधिकारी, नगर निगम
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