नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा में पास कर दिया गया। विपक्ष के भारी हंगामे के बीच इस बिल को पास किया गया। इसके साथ ही अब इस बिल को राज्यसभा में पास कराने की कवायद शुरू हो गई है। सोमवार को इस बिल के पक्ष में कुल 311 वोट पड़े। बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए भाजपा ने 10 व 11 दिसंबर को पार्टी के तमाम सांसदों के लिए व्हिप जारी किया है, जिसमे तमाम सांसदों से सदन में उपस्थित रहने को कहा गया है। माना जा रहा है कि आज सदन में इस बिल पर वोटिंग हो सकती है।
इस बिल पर लोकसभा में रात तकरीबन 12 बजे तक बहस चली और अंत में इस बिल पर वोटिंग की गई। बिल के पक्ष में कुल 311 वोट पड़े जब विपक्ष में कुल 80 वोट पड़े। अहम बात यह है कि नीतीश कुमार की जदयू और राम विलास पासवान की पार्टी ने भी इस बिल के समर्थन में अपना वोट किया। शिवसेना, बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस और गैर भाजपा दलों ने इस बिल के समर्थन में वोट दिया।
गौरतलब है कि राज्यसभा में इस बिल को पास करने के लिए 120 सांसदों के समर्थन की जरूरत है। भाजपा इस बिल को पास कराने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त दिख रही है। अगर वाईएसआर कांग्रेस, शिवसेना, बीजेडी अपना समर्थन देती हैं तो इस बिल को राज्यसभा में पास कराया जा सकता है। इस बिल को पास कराने के लिए कुल 239 में से 120 सांसदों की क जरूरत है। भाजपा के पास सदन में 83 सांसद हैं, जदयू के पास 6, एआईएडीएमके के पास 11, अकाली दल के पास 3, व 12 नामित सांसद हैं जो भाजपा के समर्थन में हैं। इसके अलावा बीजेडी व वाईएसआर कांग्रेस के सांसद भी िस बिल का समर्थन कर सकते हैं, लिहाजा इस बिल को आसानी से राज्यसभा में पास किया जा सकता है।
नागरिकता संशोधन बिल पर बोली शिवसेना, कहा- शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दो, लेकिन….
नागरिकता संशोधन बिल पर शिवसेना ने सवाल खड़े किए है. शिवसेना ने मोदी सरकार को बिल में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि, ‘मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह नागरिकता संशोधन बिल पर अडिग है. किन्तु क्या यह विधेयक वोट बैंक की राजनीति के लिए ये बिल पास किया जा रहा है? हम मानते हैं कि हिंदुओं के पास भारत के अतिरिक्त कोई दूसरा देश नहीं है, किन्तु यदि वोट बैंक के लिए नागरिकता बिल को पारित करने की कोशिश की जा रही है तो यह देश के लिए सही नहीं है.’
शिवसेना ने लिखा कि, ‘हमारी मांग है कि जिन बाहरी लोगों को देश की नागरिकता दी जाएगी, उन्हें 25 वर्षों तक मतदान का अधिकार नहीं दिया जाएगा. इस बारे में देश के गृह मंत्री अमित शाह को विचार करना चाहिए. क्या यह स्वीकार्य है.’ शिवसेना ने लिखा है कि दूसरे देशों में अत्याचार झेल रहे हिन्दुओं, इसाइयों, सिखों, पारसी और जैन को नागरिकता देने की जगह अमित शाह और नरेंद्र मोदी को अपनी सख्त छवि का प्रयोग करते हुए इन देशों की सरकारों से बात करनी चाहिए और वहां पर हिन्दुओं पर हो रहे जुल्म को रोकना चाहिए.
शिवसेना ने आगे लिखा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को इन दो में से एक उपायों को अपनाना चाहिए और राष्ट्रीय हित में कार्य करना चाहिए. सामना के संपादकीय में शिवसेना के तेवर बदले नजर आ रहे हैं. सामना में लिखा गया है कि क्या भारत में कम समस्या है जो हम लोग दूसरे मुल्क के लोगों की परेशानियां ले रहे हैं. देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे हालत में सरकार दूसरे देश के लोगों को भारत की नागरिकता दे रही है.
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