आज है जया एकादशी, जाने इसकी कथा और व्रत का महत्व

जया एकादशी

यूनिक समय, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, जया एकादशी 7 फरवरी 2025 को रात 9:26 बजे शुरू होगी और 8 फरवरी 2025 को रात 8:15 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 8 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।

जया एकादशी का व्रत क्यों किया जाता है?

जया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और यह हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। यह एकादशी माघ महीने के शुक्ल पक्ष में आती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

जया एकादशी व्रत कथा

एक समय स्वर्ग में देवराज इंद्र के सभा में उत्सव का आयोजन किया गया था। उत्सव में गंधर्व गीत गा रहे थे और अप्सराएँ नृत्य कर रही थीं। वहां उपस्थित गंधर्व माल्यवान और गंधर्व कन्या पुष्यवती एक दूसरे को देखकर मोहित हो गए और अपनी लय-ताल से भटक गए। इंद्र भगवान ने क्रोधित होकर दोनों को स्वर्ग से वंचित रहने का और मृत्यु लोक में पिशाचों सा जीवन भोगने का श्राप दिया। श्राप के प्रभाव से दोनों पिशाच योनि में चले गए और वहां अत्यंत कष्ट भोगने लगे।

एक दिन, वे घूमते-घूमते हिमालय पर्वत पर पहुंचे। वहाँ उन्होंने एक पीपल का पेड़ देखा और उसके नीचे बैठ गए। उस दिन जया एकादशी थी। उन्होंने उस दिन कुछ भी नहीं खाया और न ही कोई पाप कर्म किया। उन्होंने पूरी रात जागकर भगवान विष्णु का स्मरण किया। जया एकादशी के व्रत के प्रभाव से, उनके श्राप का अंत हो गया और वे अपने दिव्य रूप में वापस आ गए। वे फिर से स्वर्ग में लौट गए और देवताओं के साथ रहने लगे। इस प्रकार, जया एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस एकादशी का व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

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