यूनिक समय ,नई दिल्ली। तूलसी पूजन दिवस सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है जिसे हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से तुलसी माता की पूजा और उनकी उपासना के लिए समर्पित है। हिंदू धर्म में तुलसी को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है और मान्यता है कि तुलसी का पूजन (Tulsi Puja) करने से घर में सुख-समृद्धि और अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। तुलसी पूजन का ना सिर्फ धार्मिक, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक जीवन में भी गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। आइए जानते हैं तुलसी पूजन दिवस 2024 का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
हिंदू पंचांग के अनुसार, तुलसी पूजन दिवस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है। इस साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि का शुभारंभ 24 दिसंबर को शाम 7 बजकर 52 मिनट पर हो रहा है जिसका समापन 25 दिसंबर की रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, तुलसी पूजन दिवस 25 दिसंबर को ही मनाया जाएगा।
तुलसी पूजन विधि
तुलसी पूजन दिवस के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद, लाल रंग के वस्त्र पहनकर तुलसी के पौधे की पूजा शुरू करें।
सबसे पहले तुलसी के पौधे की अच्छी तरह से सफाई करें और इसके आसपास रंगोली और फूलों से सजावट कर लें।
फिर जल अर्पित करें, कुमकुम और दीपक जलाकर रखें। तुलसी माता (Tulsi Mata) को 16 शृंगार अर्पित करें और उनका पूजन करें।
उन्हें पंचामृत, फल, माला, मिठाई आदि अर्पित करें। पूजा के दौरान वैदिक मंत्रों का जाप करें मंत्रों का जाप बहुत फायदेमंद माना जाता है।
पूजन के बाद आरती करें और घर के सभी सदस्यों और अन्य लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
यह दिन समाज के लिए भी बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन जरूरतमंदों की मदद करना और वृद्धों से आशीर्वाद प्राप्त करना पुण्यदायी माना जाता है।
देवी तुलसी पूजन के वैदिक मंत्र
1। महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी,
आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
2। देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी पूजन दिवस का महत्व
तुलसी पूजन दिवस का सनातन धर्म में धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। मान्यता है कि तुलसी के पौधे में देवी लक्ष्मी का वास होता है और उनकी पूजा से भगवान श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन देवी तुलसी का पूजन करने से न केवल घर में समृद्धि आती है बल्कि व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति और सुख की भी बढ़ोत्तरी होती है।
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