नई दिल्ली। चक्रवाती तूफान वायु गुजरात में कहर बरपाना शुरू कर चुका है. खतरे को देखते हुए महाराष्ट्र में भी हाई अलर्ट जारी हो गया है. बचाव की तमाम तैयारियों के बावजूद अब तक कई जानें जा चुकी हैं. 155 से 156 किलोमीटर/घंटे की रफ्तार वाला ये तूफान चक्रवाती तूफानों की श्रेणी में दूसरे नंबर पर आता है. तूफान की 3 और श्रेणियां हैं जो इससे कहीं ज्यादा विनाशकारी और भयंकर हैं।
सबसे पहले तो ये जानते हैं कि आखिर चक्रवाती तूफान क्यों आता है. समुद्री जल का तापमान बढ़ने पर इसके ऊपर मौजूद हवा गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगी है. इस जगह कम दबाव का क्षेत्र बनने लगता है. इसे भरने के लिए आसपास की ठंडी हवा इस ओर बढ़ती है. गर्म और ठंडी हवाओं के मिलने से जो प्रतिक्रिया होती है, वो तूफान के रूप में सामने आती है. गर्म होकर ऊपर उठने वाली हवा में नमी भी होती है, यही वजह है कि साइक्लोन में तेज हवा के साथ बारिश भी होती है.
हवा की रफ्तार के अनुसार चक्रवात को मूलतः 5 श्रेणियों में रखा गया है. पहली श्रेणी में तूफान की गति 119 किलोमीटर से 153 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. दूसरी श्रेणी में साइक्लोन 154 से 177 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ता है. तीसरा तूफान 178 से 208 किलोमीटर प्रति घंटा तेजी से आगे बढ़ता है. चौथे साइक्लोन की स्पीड 209 से 251 किलोमीटर प्रति घंटा होती है. वहीं पांचवे और सबसे तेज साइक्लोन की रफ्तार होती है- 252 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे भी ज्यादा.
अब तक का सबसे विनाशकारी साइक्लोन साल नवंबर 1970 में बांग्लादेश में आया था. इसका नाम था ग्रेट भोला साइक्लोन, जिसकी वजह से लगभग 5 लाख लोगों की मौत हो गई थी (स्त्रोत- International Disaster Database).भारत में भी एक तूफान ने ऐसा ही हाहाकार मचाया था. ये 1737 में आया था, जिसे हुगली रिवर साइक्लोन के नाम से जाना जाता है. इसने लगभग साढ़े तीन लाख लोगों की जान ले ली.
अमेरिका के साइक्लोन कैटरीना को भी इसी श्रेणी में रखा जाता है. साल 2005 में इसकी वजह से 2000 जानें गईं. साथ ही मकान, दफ्तर टूटने से जो नुकसान हुआ, वो लगभग $108 billion था. ये दुनिया के इतिहास में सबसे ज्यादा नुकसान माना जाता है. अमेरिका दुनिया के उन चुनिंदा हिस्सों में से है जहां सबसे ज्यादा चक्रवाती तूफान आते हैं. ऐसा यहां के मौसम की वजह से है. टेक्सास, न्यू ऑरलीन्स, फ्लोरिडा जैसे क्षेत्र इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
आमतौर पर टायफ़ून, हरीकेन और साइक्लोन को एक ही मान लिया जाता है. वैसे तो ये तीनों ही बारिश लाने वाले तूफान हैं लेकिन ये तीनों अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र में आते हैं. मसलन टाइफून कम दबाव का तूफान है लेकिन जब इसकी रफ्तार बढ़कर 120 किलोमीटर प्रतिघंटा या ज्यादा हो जाती है तो इसे टायफून कहा जाता है. आमतौर पर यह जापान, ताइवान, फिलीपींस या पूर्वी चीन को प्रभावित करता है.
भारत में आने वाला तूफान साइक्लोन है जिसकी रफ्तार 140 किलोमीटर प्रतिघंटे हो सकती है. ये लगभग 16 सौ किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है, जिसके बाद गति घटने के साथ इसकी तबाही बंद हो जाती है.
हरीकेन अमेरिकी क्षेत्रों पर असर डालता है. इसकी रफ्तार 90 किलोमीटर से लेकर 190 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. इसके साथ-साथ बारिश और चक्रवाती हवाएं भी चलती हैं जिसे टॉरनेडो कहते हैं. यही वजह है कि अमेरिका में कम गति के बाद भी तूफान आमतौर पर सबसे ज्यादा भयंकर हो जाते हैं. हालांकि यहां डिजास्टर मैनेजमेंट की तकनीकें इतनी विकसित हैं कि नुकसान कम से कम होता है.
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