UK: ब्रिटिश राजघराने द्वारा सम्मान वापस लेने पर भड़के भारतवंशी सांसद रमिंदर सिंह रेंजर

रमिंदर सिंह रेंजर

यूनिक समय ,नई दिल्ली। ब्रिटिश संसद के उच्च सदन ‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स’ के भारतीय मूल के सदस्य रमिंदर सिंह रेंजर ने ब्रिटिश राजघराने की तरफ से दिए गए सम्मान को वापस लिए जाने के खिलाफ नाराजगी जाहिर की है। दरअसल, शुक्रवार को उन्हें कमांडर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर (सीबीई) का सम्मान छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन पर सम्मान प्रणाली को बदनाम करने का आरोप है। इस पर रमिंदर ने कहा है कि वह मामले में कानूनी कार्रवाई का सहारा लेंगे।

कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्य और ब्रिटेन स्थित एफएमसीजी कंपनी सन मार्क लिमिटेड के संस्थापक रमिंदर सिंह रेंजर को दिया सम्मान ब्रिटिश राजघराने के प्रमुख किंग चार्ल्स तृतीय की तरफ से रद्द और निरस्त कर दिया गया। रमिंदर को लॉर्ड रमी रेंजर के नाम से भी जाना जाता है।

ब्रिटिश मंत्रिमंडल कार्यालय की जब्ती समिति ने हालांकि ऐसी सिफारिशों के पीछे के कारणों को स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन यह कदम पिछले साल लॉर्ड्स की जांच के बाद उठाया गया है, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया था कि रेंजर ने धमकाने और उत्पीड़न से संबंधित संसदीय आचार संहिता का उल्लंघन किया था। लॉर्ड रेंजर को 31 दिसंबर, 2015 को ‘कमांडर ऑफ द सिविल डिविजन ऑफ द मोस्ट एक्सीलेंट ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ के रूप में नियुक्ति दी गई थी।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद लॉर्ड रमी रेंजर की तरफ से आधिकारिक बयान में कहा गया, “आज मुझे ब्रिटिश राजघराने से मिला सम्मान वापस ले लिया गया, क्योंकि मैंने भारत को तोड़ने का इरादा रखने वाले खालिस्तान समर्थकों और बीबीसी का विरोध किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीबीसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक दो एपिसोड की डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जिसमें यह इशारा किया गया है कि 20 वर्ष पहले पीएम मोदी गुजरात दंगों में शामिल थे, जबकि भारत की शीर्ष अदालत उन्हें इस मामले में बरी कर चुकी है।

लॉर्ड रेंजर ने इस मामले में पारदर्शिता की कमी और गोपनीयता के उच्च स्तर पर गंभीर चिंताएं जताईं और कहा कि वह अनुचित निर्णय को चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। उनके प्रवक्ता ने कहा, “लॉर्ड रेंजर ने कोई अपराध नहीं किया है और न ही उन्होंने कोई कानून तोड़ा है, जबकि जिन लोगों का सम्मान इस तरह से रद्द किया गया है, उनमें से अधिकांश ने या तो अपराध किया है या कानून तोड़ा है।” उन्होंने कहा कि इस तरह सम्मान वापस लिया जाना गंभीर बात है और यह इशारा है कि नागरिक अपने दिल की बातें न कहें और उनके खिलाफ न खड़े हों जो कि उनके देश और उन्हें नुकसान पहुंचाने की बात कर रहे हों।

लॉर्ड रेंजर के प्रवक्ता ने कहा कि वह अपने लिए उपलब्ध विभिन्न कानूनी रास्तों के माध्यम से निवारण के सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं तथा स्वयं को निर्दोष साबित करने के लिए इस अन्यायपूर्ण निर्णय को चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि लॉर्ड रेंजर सीबीई के पात्र प्राप्तकर्ता थे और जिस तरह से यह उनसे छीना गया है, वह शर्मनाक है।

इसके साथ ही हिंदू समुदाय और अंतर-धार्मिक संबंधों में सेवाओं के लिए ‘ऑफिसर ऑफ द सिविल डिविजन ऑफ द मोस्ट एक्सीलेंट ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर’ (ओबीई) के रूप में अनिल कुमार भनोट की दी गई नियुक्ति को भी रद्द कर दिया गया है। उन्हें जून 2010 में दिवंगत क्वीन एलिजाबेथ के जन्मदिन के अवसर पर हिंदू समुदाय और अंतर-धार्मिक संबंधों में उनकी सेवाओं के लिए ओबीई की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

मंत्रिमंडल कार्यालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी फौजदारी अपराध या ऐसे व्यवहार का दोषी पाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप नियामक या पेशेवर निकाय द्वारा उसकी निंदा की जाती है, या ऐसा व्यवहार करता है जो सम्मान प्रणाली को बदनाम करने वाला माना जाता है तो उसका सम्मान वापस लिया जा सकता है।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*