सावन की शिवरात्रि पर हरिद्वार से चलकर उत्तर प्रदेश होते हुए हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान तक जाने वाली कांवड़ यात्रा आस्था के रंग और परंपरा की उमंग में चले। भोले के भक्तों की पूरी सेवा की जाए, लेकिन पर्व की मर्यादा और अनुशासन भी बना रहे…कुछ इस थीम को लेकर सोमवार को मेरठ के कमिश्नरी सभागार में अंतरराज्यीय व अंतरइकाई समन्वय बैठक हुई।
प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद एवं पुलिस महानिदेशक विजय कुमार ने कांवड़ यात्रा का पूरा रोडमैप परखा। तय किया गया कि यात्रा में 12 फीट से ऊंची कांवड़ पर रोक रहेगी। वजह बताई गई कि ज्यादा ऊंचाई होने पर कांवड़ बिजली के तारों से स्पर्श कर सकती है और हादसा होने की आशंका रहती है।
इस यात्रा में 30 फीट से भी ऊंची कांवड़ लेकर श्रद्धालु चलते हैं। यह भी तय हुआ कि यात्रा में भाले व त्रिशूल लेकर चलने पर प्रतिबंध होगा। म्यूजिक सिस्टम पर प्रतिबंध नहीं रहेगा लेकिन आवाज पर नियंत्रण रखना होगा।
प्रमुख सचिव गृह ने कहा कि कांवड़ यात्रा की दृष्टि से पश्चिम उप्र को पांच परिक्षेत्रों में बांटा गया है। मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर व बागपत पहला जोन होगा। गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर दूसरा, सहारनपुर मंडल तीसरा, बरेली चौथा व आगरा पांचवां जोन होगा। कांवड़ यात्रा पर नजर रखने के लिए हेलीकाप्टर व 81 ड्रोन कैमरों की व्यवस्था की जाएगी। 1,103 स्थानों पर सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था होगी।
कांवड़ यात्रा चार जुलाई से प्रारंभ होगी। ऐसे में चार जुलाई से दिल्ली-देहरादून हाइवे वन-वे हो जाएगा। एक ओर कांवड़ चलेगी तो दूसरी ओर वाहन। नौ जुलाई से हाईवे पूरी तरह कांवड़ियों के लिए आरक्षित कर दिया जाएगा। कांवड़ियों की संख्या देखते हुए प्रशासन रूट डायवर्जन व वाहनों के प्रतिबंध के आदेश को संशोधित कर सकता है।
डीजीपी विजय कुमार ने कहा कि यात्रा के दौरान म्यूजिक सिस्टम पर अशोभनीय गाना न बजने दें। हर जिले में क्यूआर कोड बनाएं, जिसमें कांवड़ संबंधी जानकारी मिल सके। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने कहा कि कांवड़ यात्रा पूर्ण रूप से प्लास्टिक मुक्त रखी जाएगी। बैठक में यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान के अधिकारी शामिल रहे।
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