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लखनऊ। कोरोना के टीके की उम्मीद भले ही बढ़ती जा रही है लेकिन, इसका खौफ और रिस्क, दोनों ही अभी खत्म नहीं हुए हैं। इतना ही नहीं, इसकी वजह से सरकारी महकमों को होने वाला आर्थिक नुकसान भी जारी है। आबकारी महकमा ऐसा ही है, जिसे साल के जाते-जाते लाखों की कमाई हो जाया करती थी लेकिन, इस बार सब कोरोना की भेंट चढ़ गया है।
31 दिसम्बर और 1 जनवरी के सेलेब्रेशन के लिए बड़े पैमाने पर एक दिन के बार लाइसेंस जारी हुआ करते थे। आबकारी विभाग को प्रति लाइसेंस 10 हजार रूपये की फीस मिलती थी। इस बार तो इसे 11 हजार कर दिया गया है लेकिन, इस साल विभाग की ये कमाई लगभग शून्य रहने वाली है। इस साल अभी तक एक दिनी बार लाइसेंस के लिए आवेदन लगभग न के बराबर आए हैं।
लखनऊ से लेकर नोएडा तक विभाग को भारी नुकसान
लखनऊ के जिला आबकारी अधिकारी (डीईओ) वीके शर्मा ने बताया कि पिछले साल 100 से ज्यादा एक दिनी बार लाइसेंस जारी किए गये थे लेकिन, इस बार अभी तक एक भी आवेदन नहीं आया है। इसी तरह नोएडा में भी पिछले साल लगभग 100 के करीब लाइसेंस जारी किए गए थे लेकिन, इस साल अभी तक आबकारी विभाग को एक भी आवेदन नहीं मिला है। नोएडा के डीईओ राकेश बहादुर सिंह ने कहा कि पुलिस कमिश्नर की एनओसी मिले बिना लाइसेंस जारी नहीं होंगे. यदि कोई एनओसी लाता है तो लाइसेंस जारी करने में देर नहीं लगेगी।
सबसे ज्यादा ‘बार’ वाले आगरा में विभाग की हालत पतली
प्रदेश में सबसे ज्यादा बार आगरा में हैं। कुल 84। फिर भी हर साल यहां बड़े पैमाने पर एक दिनी लाइसेंस जारी होते थे। इस बार ऐसा नहीं है। आगरा के डीईओ नीरेश पालिया ने बताया कि इस बार अभी तक सिर्फ सात आवेदन ही आए हैं। इन आवेदनों पर लाइसेंस तब जारी किए जायेंगे, जब आवेदक जिला प्रशासन की एनओसी जमा करेगा। वाराणसी के जिला आबकारी अधिकारी करूणेन्द्र सिंह ने बताया कि इस साल अभी तक सिर्फ 3 आवेदन आए हैं। पिछले साल तो संख्या ठीक-ठाक थी।
मेरठ और कानपुर जैसे शहरों सन्नाटा
दूसरी तरफ मेरठ और कानपुर जैसे शहरों में भी मामला सन्नाटा ही है। अभी तक कोई आवेदन नहीं आया है। हालांकि कानपुर के डीईओ आनन्द प्रकाश ने बताया कि जिले में पिछले दो सालों से एक दिनी बार लाइसेंस पर रोक रही है. इसलिए उनके यहां नुकसान नहीं है।
इस बार लाइसेंस के लिए जिला प्रशासन की एनओसी जरूरी
बता दें कि इस साल एक दिनी बार लाइसेंस के लिए फीस 11 हजार रखी गई है लेकिन, लाइसेंस के लिए कड़ी शर्तें भी सरकार ने रख दी हैं। कोरोना के कारण जारी की गयी शर्तों में से एक शर्त ये भी है कि यदि लाइसेंस लेना है तो जिला प्रशासन की एनओसी लेनी होगी। अब संकट ये भी है कि आवेदन करने के बाद यदि एनओसी नहीं मिलती तो 11 हजार रूपये भी फंस जायेंगे। इसे वापस लेने के लिए पापड़ बेलने पड़ेंगे। जाहिर है कोरोना की मार दोतरफा है। व्यापारियों पर तो है ही विभाग पर भी है। फिर भी विभागीय अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले दो दिनों में कुछ लाइसेंस तो जारी हो ही जायेंगे।
शराब परोसनी है तो लाइसेंस है जरूरी
आबकारी विभाग के नियम के मुताबिक किसी आयोजन में आपको शराब परोसनी है तो उसके लिए 24 घण्टे का लाइसेंस लेना पड़ता है. इसे FL-11 बोलते हैं। इसके बिना शराब पिलाना कानूनन अपराध होता है। इसी नियम के तहत नये साल के आगमन पर तमाम रेस्टोरेण्ट और होटल शराब भी पिलाने के लिए एक दिनी बार लाइसेंस ले लिया करते थे।
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