
यूनिक समय, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली के अवसर पर शहर भर की मस्जिदों और मजारों को काली पन्नी और तिरपाल से ढक दिया गया है। यह कदम लाट साहब के परंपरागत जुलूस को लेकर उठाया गया है, जो हर साल होली के दिन निकलता है। शहर की करीब 67 मस्जिदों और मजारों को काली पन्नी और तिरपाल से ढकने का कारण यह है कि जुलूस के दौरान होली के रंग मस्जिदों पर न पड़ें।
यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसमें लाट साहब के जुलूस के मार्ग में पड़ने वाली सभी मस्जिदों को इसी तरह ढंका जाता है। शाहजहांपुर पुलिस प्रशासन का कहना है कि यह सब कुछ पुराने नियमों के अनुसार हो रहा है, और किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। पुलिस का कहना है कि शहर में शांति बनाए रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और हुड़दंगियों पर निगरानी रखी जा रही है।
लाट साहब का जुलूस ब्रिटिश शासन के एक क्रूर अफसर के विरोध में निकाला जाता है। इस दौरान एक युवक को लाट साहब के रूप में चुना जाता है, जिसका चेहरा ढका जाता है और उसे जूते की माला पहनाकर बैलगाड़ी पर बैठाया जाता है। जुलूस के दौरान लाट साहब पर अबीर-गुलाल और जूते-चप्पल भी फेंके जाते हैं। शाहजहांपुर में लाट साहब के दो प्रमुख जुलूस होते हैं, जिन्हें छोटे और बड़े लाट साहब के नाम से जाना जाता है।
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