सरायचंडी स्टेशन के पास मोहम्मदपुर गांव के निवासी गुरु नारायण मिश्रा और इनकी पत्नी को कोई बेटा नहीं था। कंचन को 5 बेटियां हैं। कंचन की पांच बेटियों में चार की शादी हो चुकी है। तीन बेटियां बाहर रहती हैं। देवर ने जब अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया तो कंचन घर में शव के पास बैठकर सूरत और बेंगलुरु में रहने वाली बेटियों के आने का इंतजार करने लगीं। कंचन शव के पास 48 घंटे बैठी रहीं। दो बेटी-दामाद सूरत से मंगलवार सुबह आए तो कंचन ने गांव वालों की मदद से शव लेकर रसूलाबाद घाट पहुंचीं।
यूपी के प्रयागराज के मोहम्मदपुर गांव में एक युवक की मौत हो गई। उसके कोई बेटा नहीं था। छोटे भाई ने चिता को मुखाग्नि देने से मना दिया। रिश्तेदार भी पीछे हट गए। दरअसल, मोहम्मदपुर निवासी गुरु नारायण मिश्रा कैंसर से पीड़ित थे। बीते रविवार को उनकी मौत हो गई। इस दौरान उनकी पत्नी ने अपने देवर से उनकी अंतिम क्रिया करने की बात कही। देवर ने मना कर दिया। इसके बाद रिश्तेदारों और भाई ने जब साथ नहीं दिया तो इनकी पत्नी ने चिता को आग दी और पिंडदान किया।
हिन्दू संस्कृति में शवों को आग देने, शमशान में जाने की प्रथा पुरुषों को है। महिलाओं को श्मशान जाने मनाही है। नारायण मिश्रा को अपना कोई बेटा नहीं है। नारायण मिश्रा चाहते थे कि उनकी चिता को आग कोई पुरुष ही दे। कंचन ने पति के अंतिम संस्कार के लिए देवर को बोला लेकिन देवर ने आग देने मना कर दिया। दुख की घड़ी में परिवार के पुरुषों ने मुंह फेर लिया तो कंचन ने पति का अंतिम संस्कार किया। रसूलाबाद घाट पर मंगलवार को कंचन मिश्रा ने पति का पिंडदान किया।
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