बजट सत्र के आखिरी दिन भी हंगामा: स्पीकर की चाय पार्टी का बायकॉट, निकाला तिरंगा मार्च, विपक्ष ने अडानी मुद्दे पर कहा

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बजट सत्र के आखिरी दिन की कार्यवाही भी राहुल गांधी और अडानी मुद्दे पर हुए हंगामे की भेंट चढ़ गई. सरकार और विपक्ष ने एक दूसरे पर कार्यवाही बाधित करने के आरोप लगाए.

संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन गुरुवार (6 अप्रैल) को दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. आज भी लोकसभा और राज्यसभा में कोई काम नहीं हो सका और कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अयोग्यता का विरोध करने के लिए कई विपक्षी सदस्य काले कपड़े पहनकर आए थे. जबकि बीजेपी के ज्यादातर सांसदों ने भगवा पट्टा पहना था. कई विपक्षी दलों ने लोकसभा स्पीकर की चाय पार्टी से भी दूरी बनाई है. जानिए बजट सत्र से जुड़ी बड़ी बातें.

1. गुरुवार को भी लोकसभा और राज्यसभा में राहुल गांधी और अडानी का मुद्दा गूंजा. सत्ता पक्ष ब्रिटेन में राहुल गांधी की ओर से लोकतंत्र पर दिए गए बयान को लेकर माफी की मांग पर अड़ा रहा तो विपक्ष भी अडानी मामले में जेपीसी गठन की मांग पर अडिग रहा. दोनों मुद्दों पर हंगामे के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई.

2. संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि बजट सत्र के दूसरे चरण में लोकसभा में उत्पादकता केवल 34% रही जबकि राज्यसभा में उत्पादकता केवल 24 फीसदी रही. दोनों सदनों में वित्त विधेयक को मिलाकर 8 नए बिल पेश किए गए. जबकि दोनों सदनों से कुल 6 बिल पारित किए गए. हम चाहते थे कि वित्त विधेयक पर चर्चा हो. इसके लिए हमने कहा था कि अगर स्पीकर कहें तो वित्त विधेयक पर चर्चा के लिए सत्ता पक्ष अपनी मांग पर पीछे हटने को तैयार है अगर विपक्ष भी अपनी मांग से पीछे हट जाए, लेकिन विपक्ष इसके लिए राजी नहीं हुआ. मुद्दा जेपीसी नहीं बल्कि कुछ और है. वो चाहते हैं कि राहुल गांधी के लिए अलग कानून बने.

3. कांग्रेस, भारत राष्ट्र समिति, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने संसद के बजट सत्र के आखिरी दिन एकजुटता दिखाते हुए आगे भी मिलकर काम करने का संकल्प लिया और आरोप लगाया कि इस सत्र में कार्यवाही बाधित रहने के लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेदार है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से आयोजित होने वाली शाम की चाय पार्टी में भी कांग्रेस सहित 13 विपक्षी दल शामिल नहीं होंगे.

4. सत्र खत्म होने पर विपक्षी सांसदों ने संसद से विजय चौक तक तिरंगा मार्च निकाला. इस मार्च में 20 पार्टियां शामिल हुईं. तिरंगा मार्च में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल हुए. इस दौरान विपक्षी दलों ने दावा किया कि अगर सरकार का यही रुख रहा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और देश तानाशाही की तरफ बढ़ जाएगा. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मोदी सरकार लोकतंत्र के बारे में बातें तो बहुत करती है, लेकिन कहने के मुताबिक चलती नहीं है. 50 लाख करोड़ रुपये का बजट सिर्फ 12 मिनट में, बिना चर्चा किए पारित कर दिया गया.

5. मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कभी आपने सुना है कि सरकार के लोग ही माफी मांगो-माफी मांगो बोलकर सदन न चलने दें? वे संविधान को नहीं मानते, लोकतंत्र को नहीं मानते. खरगे ने दावा किया कि सत्तापक्ष की तरफ से संसद की कार्यवाही में बार बार व्यवधान डाला गया. ऐसा पहली बार हुआ है. पूर्व में ऐसा कभी नहीं देखा. खरगे ने आरोप लगाया कि सरकार की मंशा थी कि सत्र नहीं चले. इस व्यवहार की हम निंदा करते हैं. अगर सरकार का रुख ऐसा ही रहता है तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और देश तानाशाही की तरफ बढ़ जाएगा.

6. खरगे ने कहा कि हमारा सामूहिक मुद्दा था कि अडानी को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है? अडानी की संपत्ति केवल 2.5 साल में 12 लाख करोड़ कैसे हुई? उन्होंने सरकार का पैसा और संपत्ति खरीदी है. क्यों मोदी जी एक ही व्यक्ति को इतनी चीजें दे रहे हैं? किन-किन देशों के प्रधानमंत्रियों और उद्योगपतियों से वे (अडानी) मिले? इस पर चर्चा होनी चाहिए. हम जेपीसी की मांग कर रहे हैं. इसमें उन्हें कोई नुकसान नहीं होने वाला था. उनके पास बहुमत है तो ज्यादा लोग आपके रहेंगे. इसके बावजूद वे जेपीसी से क्यों डर रहे हैं? लगता है कि दाल में कुछ काला है, इसीलिए जेपीसी के गठन की मांग नहीं मानी जा रही है.

7. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जब भी हम नोटिस देते थे और उस पर चर्चा की मांग करते थे तब वे हमें बोलने नहीं देते थे. ऐसा पहली बार हुआ है, मैंने 52 सालों में ऐसा कभी नहीं देखा. यहां 2 साल से मैं देख रहा हूं कि खुद सत्तारूढ़ पार्टी के लोग विघ्न डालते हैं. सत्ता पक्ष ने संसद को ठप्प कर, लोकतंत्र की हत्याकी. परम मित्र को बचाने की कवायद में सारे संसदीय रिवाज रौंदे गए. षड्यंत्र रच, डिसक्वालिफाई कर विपक्ष की आवाज दबा दी. मोदी जी, बातें मत बनाइये, भ्रष्टाचार की जांच करवाइये, जेपीसी जांच बिठाइये.

8. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अडानी मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें ऐसे आरोप लगाने की आदत हो चुकी है. उन्होंने कहा कि 2019 में राफेल के आरोपों में जब राहुल गांधी ने बयान दिए तब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी. उससे पहले आरएसएस के खिलाफ जब गलत बयान देने पर लिखित माफीनामा देना पड़ा. आज आप (राहुल गांधी) बोलते हैं मैं गांधी हूं सावरकर नहीं. क्या उन्हें याद है कि उन्होंने माफी मांगी थी. उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी को लगता है कि अडानी को ये सब चीजें दी गई हैं, तो यह सच नहीं है. ये केरल की कांग्रेस सरकार थी, जिसने अडानी को विझिंजम पोर्ट थाली में परोस कर दिया था. ये किसी टेंडर के आधार पर नहीं दिया गया था.

9. निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर कोई क्रोनी कैपिटलिज्म हो रहा है, तो यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों में हो रहा है और राहुल गांधी इसके बारे में एक शब्द भी नहीं बोलेंगे. राजस्थान में पूरी सौर परियोजना अडानी को दी गई है. राहुल गांधी को इसे रद्द करने से क्या रोकता है? जैसे 2013 में जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह विदेश में थे, राहुल गांधी ने एक अध्यादेश को बकवास बताया और उसे फाड़कर कूड़ेदान में फेंक दिया था. ऐसे में राहुल गांधी को राजस्थान में उस आदेश को रद्द करने से क्या रोकता है. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. वे ऐसे मुद्दे उठाते हैं कि सभी को पास ले आए. ममता बनर्जी खुद अडानी का स्वागत करती हैं. आप हमसे सवाल करें हमें परवाह नहीं है. हमारे पास कुछ छुपाने के लिए नहीं है.

10. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कांग्रेस और उनके साथियों ने सदन को चलने नहीं दिया. राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस पार्टी और उसके साथियों ने जो किया है वो देश देख रहा है. कांग्रेस और उनके गिरोह मिलकर कोर्ट में दबाव डालने के लिए सूरत कोर्ट में जाकर जिस तरह जुलूस निकालकर कोर्ट के परिसर में गए, मैं इसका खंडन करना चाहता हूं. वहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस ने शुरू से मन बना लिया था कि वे सदन चलने नहीं देंगे. बजट, जिसे देश के हर वर्ग ने स्वीकार किया उसके विरोध में उन्होंने एक बेबुनियाद मांग उठाई और सदन को चलने नहीं दिया.

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