
यूनिक समय, मथुरा। दशकों की कठिनाई और क्रूरता को सहने के बाद, वाइल्डलाइफ एसओएस ने असम से आए ‘वायु’ नामक 52 वर्षीय नर हाथी को बचाया है। लकड़ी ढोने के काम में इस्तेमाल किये जाने वाले हाथी को गंभीर चोट लगने के बाद उसे बिना इलाज के छोड़ दिया गया, जिससे उसको चलने में दिक्कत होने लगी, लेकिन अब मथुरा में वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी अस्पताल में वायु की ठीक होने की यात्रा शुरू हो गई है।
वायु का जीवन बिल्कुल भी सौम्य नहीं रहा। लकड़ी ढोने वाले हाथी के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाला हाथी, एक बार नागालैंड में गिर गया, जिसके परिणामस्वरूप उसका बायां पैर बुरी तरह से टूट गया। उचित चिकित्सा सहायता के अभाव में उसकी हालत और भी खराब हो गई। हाथी दुबला-पतला, कुपोषित था, और कोहनी के जोड़ में एंकिलोसिस (जोड़ों की अकड़न) और ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण अपंग चाल दिखा रहा था। रक्त परीक्षण में एनीमिया, परजीवी संक्रमण संबंधी कमियों का पता चला, जिससे उसकी हालत और भी कमजोर हो गई।
उसकी हालत की गंभीरता को देखते हुए, यह स्पष्ट हो गया कि वायु को विशेष देखभाल की आवश्यकता है। अनुमति मिलने के बाद, मथुरा में वाइल्डलाइफ एसओएस एलिफेंट हॉस्पिटल की एक विशेषज्ञ टीम 2000 किलोमीटर की यात्रा के लिए तैयार एक विशेष रूप से सुसज्जित एलिफेंट एम्बुलेंस के साथ रवाना हुई। टीम में पशु चिकित्सक, देखभाल करने वाले कर्मचारी शामिल थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरे बचाव अभियान के दौरान वायु को निरंतर देखभाल, हाइड्रेशन और चिकित्सा सुविधा मिले।
एक कठिन यात्रा के बाद, वायु ने आखिरकार अस्पताल के अंदर कदम रखा, जहाँ उसका स्वागत स्वादिष्ट व्यंजनों और देखभाल के साथ किया गया, जो उपचार और आशा के नए अध्याय की एक अच्छी शुरुआत है। वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन है क्योंकि यह असम से हमारा पहला बचाव अभियान है।
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