राष्ट्रीय स्वंय सेवक प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पारंपरिक तौर पर संबोधन दिया है। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत के वसुधैव कुटुंबक का सिद्धांत अब पूरे विश्व का आदर्श बन गया है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि किसी भी देश का प्रयास उसके राष्ट्रीय आदर्शों से ही प्रेरित होते हैं।
नागपुर के प्रसिद्ध रेशम बाग मैदान में आरएसएस प्रमुख ने वार्षिक दशहरा रैली के दौरान संबोधन किया है। इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि किसी राष्ट्र के प्रयास और पहल उसके राष्ट्रीय आदर्शों में ही निहित होते हैं। रामलला के लिए मंदिर का प्रयास इसी राष्ट्रीय प्रयास का नतीजा है। भगवान राम की वह छवि हमारे संविधान की मूल प्रति के एक पेज पर चित्रित है। फिलहाल अयोध्या में मंदिर निर्माणाधीन है। कहा कि यह भी ऐलान किया गया है कि 22 जनवरी 2024 को मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि रामलला के अभिषेक के अवस पर विभिन्न स्थानों पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। भागवत का मानना है कि इससे सभी के दिलों में भगवान राम की भावना जागृत होगी। अयोध्या का मानसिक परिदृश्य बढ़ेगा और समाज में स्नेह, जिम्मेदारी और सद्भावना का माहौल बनेगा।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि देश को हिमालयी क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। कहा कि हमें सुरक्षा, पर्यावरण, जनसांख्यिकी और विकास की दृष्टि से इस क्षेत्र को एक इकाई मानकर हर तरह से विचार करने की आवश्यकता है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत के उत्थान का उद्देश्य हमेशा विश्व का कल्याण रहा है। लेकिन स्वार्थी, भेदभावपूर्ण और धोखेबाज ताकतें अपने सांप्रदायिक हितों की तलाश में सामाजिक एकता को तोड़ने का काम करती हैं।
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