संवाददाता
यूनिक समय, वृंदावन। तीन दिन पहले रात का वक्त। यमुना किनारा। हर किसी की निगाहें एक नहीं कई जगह धधक रही आग पर। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है। मन में जिज्ञासा बढ़ गई। आखिर माजरा समझा जाए। नजदीक पहुंचते ही माजरा समझ में आ गया। यह आग की लपटें कोई साधारण नहीं बल्कि कुछ-कुछ दूरी पर जल रही 11 चिताओं की थी।
एक साथ इतनी बड़ी संख्या में चिता जलते देखकर हर किसी के रौंगटे खडे़ हो जाएंगे, वह भी रात के वक्त। यह लोग यह किसी न किसी कारण से मरे, लेकिन संयोग देखिए कि यमुना किनारे शमशान घाट पर ऐसा नजारा बन गया कि किसी ने कल्पना नहीं की। शमशान घाट पर इस नजारे को देखने वालों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ चिता पहली बार जलती देखी हैं।
इन चिताओं को देखकर अंदाज लगाया जा सकता है , उन परिवारों का क्या हाल होगा, जिसके सदस्यों की किसी न किसी कारण मौत हुई होगी। एक,दो और तीन चिता देखकर भी लोग सकते में आ जाते है किंतु 11-11 चिता देखकर डर सा लगने लगता है। रात के अंधकार के दौरान ऐसी स्थिति में यमुना किनारे बैठने वाले लोगों के मन में कैसे-कैसे विचार आते होंगे। यह तो अच्छी तरह से वही जान सकते हैं।
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