वृंदावन। धर्म की आड़ में वृंदावन न केवल नशे के कारोबार के लिए बड़ा बाजार बन चुका है, बल्कि मोस्टवांटेड अपराधियों का पनाहगार भी बनता जा रहा है। धर्मनगरी के आश्रम और गेस्ट हाउसों में ठहरने वाले लोगों पर पुलिस की नजर तक नहीं पड़ती, जबकि दूसरे राज्यों की पुलिस आए दिन यहां से वांटेड अपराधियों को गिरफ्तार कर ले जाती है। स्थानीय पुलिस को शहर में रह रहे अपराधियों की भनक तक नहीं लग रही। हिमाचल और दिल्ली पुलिस गुरुवार को पूरे दिन शहर में कसौली के मोस्टवांटेड को खोजती रही और शाम को उसे गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई। स्थानीय पुलिस चौबीस घंटे बाद भी यह तक पता नहीं लगा सकी कि आरोपी शहर के किस गेस्ट हाउस अथवा आश्रम में ठहरा था।
हजारों आश्रम, होटल और गेस्ट हाउसों में ठहरने वाले लोगों का पुलिस के पास कोई रिकार्ड नहीं है। हालांकि सुरक्षा के दृष्टिगत प्रशासनिक निर्देशों के बाद होटल, गेस्ट हाउस और आश्रमों में ठहरने वाले लोगों की आइडी ली जाती है। मगर यहां ठहरने वाले लोगों की आइडी जांच के लिए कोई भी योजना अभी तक अमल में नहीं लाई गई है। पिछले साल गोधुलिपुरम के एक आश्रम में हुए डबल मर्डर के बाद हरकत में आई पुलिस ने आश्रमों का डाटा एकत्र करने का एलान तो किया। आश्रमों में ठहरने वाले लोगों की जानकारी न तो आश्रम संचालकों के पास ही होती है और न ही पुलिस ने ऐसी कोई योजना बनाई है, जिससे पता लग सके कि जो व्यक्ति आश्रम में एक या दो दिन के लिए ठहरने आया है, उसकी हिस्ट्री क्या है।
कोतवाली प्रभारी सुबोध कुमार ¨सह से जब कसौली के मोस्टवांटेड के शहर में ठिकाने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने ऐसी किसी भी जानकारी से इंकार कर दिया।
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