असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असम गण परिषद (एजेपी) के विधायक प्रफुल्ल कुमार महंता ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन करने का उनकी पार्टी का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है और अगर इस कानून को खत्म नहीं किया गया तो इसके विरोध में जारी हिंसा भविष्य में गृह युद्ध में बदल सकती है। महंता ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी पार्टी ने संसद के दोनों सदनों में सीएबी का समर्थन किया। इसके विरोध में जारी हिंसा राज्य में गृह युद्ध में बदल सकती है।
उन्होंने कहा कि वह इस कानून का विरोध करते रहेंगे और असम के लोग कभी इस कानून को नहीं स्वीकार करेंगे। सीएए के मामले में अपनी पार्टी से खफा चल रहे महंता ने कहा कि अवैध घुसपैठ राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टार (एनआईसी) से खत्म हो सकती है, लेकिन सीएए राज्य में राजनीतिक इरादे से लाया गया है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, जब विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री इस कानून का विरोध कर रहे हैं तो राज्य के मुख्यमंत्री सहित भाजपा नेता असम के लोगों के हित में इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पा रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के लोगों की हितों की अनदेखी की है। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से इस कानून को असम और उत्तर पूर्व में लागू नहीं करने की अपील की। उन्होंने साथ ही यह स्वीकार किया कि सीएए को खत्म करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी होगी। इससे पहले एजेपी के प्रवक्ता जयनाथ शर्मा ने मीडिया से कहा, एजेपी ने फैसला किया है कि वह इसके खिलाफ याचिका दायर करेंगे। हमारी पार्टी के अध्यक्ष प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात कर उनसे अनुरोध करेंगे कि वह सीएए को असम में लागू नहीं करें। हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा हैं और भाजपा को असम की जनता का सम्मान करना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक एजेपी को यह एहसास हो गया है कि असम के लोग सदन में इस विधेयक का समर्थन करने को लेकर उनकी पार्टी से नाराज हैं। गौरतलब है कि एजेपी भाजपा नीत असम सरकार में शामिल है और राज्य सरकार में उसके तीन मंत्री हैं।
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