मथुरा/आगरा। पुलिस की सख्ती के बाद बाजार में हेलमेटों की बिक्री में उछाल आ गया है। वाहन के चालान से बचने के लिए लोग सस्ते और लोकल हेलमेट खरीद रहे हैं। सस्ता और लोकल हेलमेट खरीदने वाले लोग अपने सुरक्षा कवच से समझौता कर रहे हैं। ये लोकल हेलमेट आपको पुलिस की कार्रवाई से तो बचा सकते हैं, लेकिन हादसा होने पर आपकी जान नहीं बचा सकते। यही नहीं सस्ती दर पर बिक रहे लोकल हेलमेट आपकी आंखों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं।.
देश में सड़क दुर्घटना से बचने के लिए सरकार लगातार नए-नए नियम बना रही है, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। हेलमेट न लगाये जाने के कारण जनपद में हर महीने करीब 10 लोगों की मौत हो रही है। ज्यादातर लोग हेलमेट सिर्फ इसलिये खरीदते हैं, ताकि उनका चालान न कटे। बहुत कम लोग हैं, जो सुरक्षा के लिए आईएसआई मार्क का ब्रांडेड हेलमेट खरीदना पसंद करते हैं। .
सड़क किनारे 100 रुपये से लेकर 300 रुपये तक में ये हेलमेट आसानी से मिल रहे हैं। कई बार हेलमेट तो आईएसआई का नकली स्टिकर लगा कर भी बेचे जा रहे हैं। असल में अच्छी कंपनी का हेलमेट 800 रुपये से ऊपर का मिलता है। यही कारण है कि नकली हेलमेट की वजह से सड़क दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवाते हैं।.
एसपी ट्रैफिक प्रशांत कुमार प्रसाद ने बताया कि लोग सिर्फ पुलिस से बचने के लिए हेलमेट न पहनें खास तौर से युवा। पुलिस के लिए आपकी सुरक्षा सर्वोपरी है। हेलमेट ब्रांडेड कंपनी का ही खरीदें, ताकि हादसे के समय सिर को सुरक्षा कवच मिल सके। .
आंखों के लिए खतरनाक हैं लोकल हेलमेट .
लोकल हेलमेट आपकी आंखों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं। हेलमेट में लगे हुए शीशे से धूप में किरणें निकलती हैं जिससे आंखों में जलन होती है। वहीं रात में दूसरी गाड़ी की रोशनी शीशे पर आकर फैल जाती है। जिसके वजह से दिखाई देना बंद हो जाता है और एक्सीडेंट होने का खतरा बढ जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार हर रोज तकरीबन 450 हेलमेट बिक रहे हैं। वहीं 200 दुपहिया वाहन बिक रहे हैं । नियमानुसार वाहन के साथ हेलमेट मिलता है।.
हेलमेट खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
‘डिजाइन और रंग के चक्कर में पड़कर सुरक्षा के मानकों की न करें अनदेखी।
‘हेलमेट ब्रांडेड कंपनी का ही खरीदें ‘हेलमेट ऐसा हो जो आपके सिर के साथ साथ मुंह को भी पूरा ढंक सके।
‘हेलमेट का शीशा अच्छा व ऑरिजनल हो, शीशे से रात और दिन में साफ दिख सके।
‘हेलमेट खरीदते समय अच्छे से जांच कर लें कि कहीं किसी तरह का कोई डिफेक्ट तो नहीं।
‘हेलमेट का शीशा हल्के रंग का होना चाहिए, ताकि दिन व रात के समय में साफ देखा जा सके। ‘
हेल्मेट के भीतर प्रयोग किया गया कपड़ा बेहतर होना चाहिए।
ध्यान रखें कि खराब मेटेरियल के कारण आपके चेहरे और बालों को नुकसान हो सकता है।
आज कल कुछ पैसों के चक्कर में युवा हेलमेट की गुणवत्ता के साथ समझौता कर लेते हैं। सड़क किनारे व शहर की कुछ दुकानों पर विभिन्न कंपनियों के नाम से हेलमेट बेचकर विश्वासघात किया जा रहा है। दुकानदार ब्रांडेड कंपनियों का हेलमेट सस्ते में बेच रहे हैं, लेकिन वो हेलमेट का शीशे आदि सामान बदल देते हैं। हेलमेट का वजन 1.2 किलो से 1.5 किलो के बीच होना चाहिए। ऑरिजनल हेलमेट का हर पार्ट्स मिल जाता है। लोकल हेलमेट का समान नहीं मिलता ।
बीएस चावला, स्टड्स हेलमेट डिस्टीब्यूटर
800 रुपये से अधिक का मिलता है ब्रांडेड कंपनी का हेलमेट
नई मोटर साइकिल व स्कूटर बिक रहे हैं प्रतिदिन
100 से तीन सौ रुपये में सड़क किनारे बिक रहे लोकल हेलमेट
10 लोगों की हेलमेट न लगाने के कारण जनपद में हर महीने हो रही मौत
लोकल हेलमेट आपकी आंखों के लिए भी बेहद खतरनाक हैं। हेलमेट में लगे हुए शीशे से धूप में किरणें निकलती हैं जिससे आंखों में जलन होती है। वहीं रात में दूसरी गाड़ी की रोशनी शीशे पर आकर फैल जाती है। जिसके वजह से दिखाई देना बंद हो जाता है और एक्सीडेंट होने का खतरा बढ जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार हर रोज तकरीबन 450 हेलमेट बिक रहे हैं। वहीं 200 दुपहिया वाहन बिक रहे हैं । नियमानुसार वाहन के साथ हेलमेट मिलता है।.
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