विशाखापत्तनम। भारतीय नौसेना के युद्धपोत INS विशाखापत्तनम ने पश्चिमी समुद्र तट से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का परीक्षण किया। 21 फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की फ्लीट रिव्यू में हिस्सा लेने के लिए युद्धपोत को विशाखापत्तनम लाया गया है। बता दें कि विशाखापत्तनम भारतीय नौसेना के पूर्वी कमांड का केंद्र है। यहां जहाज भी बनाए जाते हैं।
#WATCH | Indian Navy’s warship INS Visakhapatnam carried out a test firing of BrahMos supersonic cruise missile off the western seaboard. The warship has now reached Visakhapatnam to take part in President’s Fleet Review on February 21 pic.twitter.com/qsYUi1QHgf
— ANI (@ANI) February 18, 2022
ब्रह्मोस मिसाइल को 21वीं सदी की सबसे खतरनाक मिसाइलों में गिना जा रहा है। यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 4300 KM प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन के ठिकाने को बर्बाद करने में सक्षम है। यह 400 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन पर वार कर सकती है। इससे पहले इसका सफल परीक्षण जनवरी में ओडिशा के बालासोर तट पर किया गया था। जबकि एक परीक्षण 11 जनवरी को हुआ था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के विकास, उत्पादन और विपणन के लिए भारत (डीआरडीओ) और रूस (एनपीओएम) के बीच एक संयुक्त उद्यम है। ब्रह्मोस एक शक्तिशाली आक्रामक मिसाइल हथियार प्रणाली है जिसे पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है।
नौसेना के सूत्रों ने बताया कि इस मिसाइल का यह समुद्र से समुद्र में मार करने वाला संस्करण है। इससे पहले रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के हवाई संस्करण का दिसंबर में सफल परीक्षण किया गया था। 26 दिसंबर 2021 को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने परमाणु प्रतिरोध बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा था कि भारत ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों के निर्माण की आशा कर रहा है ताकि कोई भी दुश्मन देश उस पर बुरी नजर न डाल सके।
बता दें कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया है। इस मिसाइल की रेंज हाल ही में 298 किमी से बढ़ाकर 450 किमी की गई थी। कम दूरी की ये रैमजेट, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल विश्व में अपनी श्रेणी में सबसे तेज गति वाली है। इसे पनडुब्बी, पानी के जहाज, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इस मिसाइल को भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना को सौंपा जा चुका है।
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