हैदराबाद में है पहला प्लास्टिक का मकान
तेलंगाना सरकार का समर्थन
तेलंगाना। दो साल पहले एक बैल के पेट से ऑपरेशन कर प्लास्टिक के ढेर सारे कचरे को निकालने वाले वीडियो ने हैदराबाद के प्रशांत लिंगम व उनकी पत्नी अरुणा को सोचने के लिए मजबूर कर दिया। इसके बाद ही उन्होंने ऐसी तरकीब निकाली की प्लास्टिक के कचरे का इस्तेमाल मकान से लेकर फुटपाथ तक बनाने में कर समाज के सामने उदाहरण पेश किया।
ऐसे आई तरकीब
दुनिया भर में समस्या बनी प्लास्टिक के कचरे को रिसाइकिल कर इसका इस्तेमाल उन्होंने घर व अन्य स्ट्रक्चर बनाने में किया। एंटरप्रेन्योर दंपति प्रशांत लिंगम व उनकी पत्नी अरुणा के पास घरों को डिजाइन करने का लंबा अनुभव है। 2017 में उन्होंने एक वीडियो देखने के बाद यह फैसला लिया। दरअसल वीडियो में एक बैल के पेट का ऑपरेशन कर प्लास्टिक को हटाया जा रहा था। इसे देख दंपति भयभीत हो गए और तभी उन्होंने इस समस्या का समाधान ढ़ूंढने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया, ‘इस वीडियो को देख हम भयभीत हो गए थे। तब हमने इस विषय पर रिसर्च शुरू कर दिया।’
‘प्लाइवुड की जगह प्लास्टिक प्लैंक (तख्ती)’
देश की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरतों को देखते हुए हमने केवल प्लास्टिक से मकान बनाने का फैसला लिया। प्लाइवुड की जगह हमने प्लास्टिक के प्लैंक का इस्तेमाल किया जो दूध के पैकेट से बनाए गए। इनका इस्तेमाल फर्नीचर, टॉयलेट, बेंच और बस शेल्टर बनाने में किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि टूथब्रश, बाल्टियां, मगों व अन्य हार्ड प्लास्टिक की वस्तुओं के इस्तेमाल से उन्होंने फुटपाथ की टाइलों का निर्माण किया।
हैदराबाद में है पहला प्लास्टिक का मकान
लिंगम ने हैदराबाद के उप्पल में 800 वर्ग फीट का पहला मकान बनाया। इस मकान को बनाने में 7 टन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया। लिंगम ने बताया, ‘इतना प्लास्टिक जलने से बच गया और इसका इस्तेमाल नए मकान को बनाने में किया गया।’
प्लास्टिक के मकान की उम्र 40-50 साल
इसे लेकर लोगों के बीच शंका है लेकिन इसमें चिंता की कोई बात नहीं। यह ईंट और मोर्टार के मकानों जितना ही अच्छा है। जहां कंक्रीट के मकानों को बनाने में 40 लाख रुपये का खर्च आता है वहीं प्लास्टिक के मकान में 700 रुपये प्रति वर्ग फीट का खर्च होगा। उन्होंने आगे बताया कि प्लास्टिक का मकान आग, गर्मी और जल रोधक है। इसलिए यह 40-50 साल तक आसानी से चल सकेगा।
तेलंगाना सरकार का समर्थन
लिंगम को तेलंगाना सरकार व ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम की ओर से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ स्कूलों की ओर से भी बेंच बनाने की डिमांड आ गई है। भारत में 11 राज्यों ने प्लास्टिक पर पूरी तरह या आंशिक रूप से बैन लगा रखा है। हालांकि देश में यह प्रतिबंध लागू करने का काम आसान नहीं है।
प्लास्टिक का विकल्प
उन्होंने आगे बताया कि स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी। देश के नागरिक के तौर पर हमें कुछ करना होगा। हमें प्लास्टिक के लिए विकल्प खोजना होगा। जूट, बंबू और कॉटन में हमें इसके विकल्प मिल जाएंगे।
हमने बनाया प्लास्टिक को ‘समस्या’
लिंगम का कहना है कि प्लास्टिक हमारे लिए इतना उपयोगी है कि इसपर प्रतिबंध लगाना काफी कठिन कार्य होगा। दूसरे शब्दों में अगर ऐसा कहें कि यह हमारे रोजमर्रा के कामों का अभिन्न अंग है तो कहीं से गलत नहीं होगा। लिंगम ने बताया, ‘यह काफी बेहतर और उपयोगी खोज है और इसके बिना हम रह नहीं सकते। वास्तव में इसे समस्या हमने बना दिया है। जिस तरह से हम इसका दुरुपयोग करते हैं इसका रिसाइकिल भी मुश्किल है।‘
दी ये सलाह
लिंगम ने कहा, ‘हर जरूरत के लिए लोगों को प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल छोड़ देना चाहिए, शैंपू के छोटे छोटे पाउच की जगह बड़े पैकेट का इस्तेमाल करना चाहिए।’ प्लास्टिक फ्री सोसाइटी का निर्माण हम दो तरीकों से कर सकते हैं पहला प्लास्टिक के उपयोग में कटौती और दूसरा इसका पुन: इस्तेमाल कर।
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