महंगाई और घटती जीडीपी को लेकर क्या बोले आरबीआई गवर्नर ?

आरबीआई गवर्नर

यूनिक समय ,नई दिल्ली। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4 से 6 दिसंबर, 2024 के बीच हुई। जिसमें अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई और महत्वपूर्ण निर्णयों की घोषणा की गई। तीन दिवसीय एमपीसी बैठक की बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा, आरबीआई के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक राम सिंह, अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य और औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक और मुख्य कार्यकारी नागेश कुमार शामिल हुए। एमपीसी की बैठक से कौन-कौन सी अहम बातें निकलकर सामने आईं, आइए जानें।

मौद्रिक नीति निर्णय तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर 6.50% पर अपरिवर्तित रखा गया है। स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25% पर बनी हुई है। सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75% पर स्थिर हैं।

रेपो दरों में आखिरी बदलाव फरवरी 2023 में किया गया था। अप्रैल 2023 से अब तक इसे अपरिवर्तित रखा गया है। रेपो रेट में बदलाव नहीं होने आपके होम लोन की ईएमआई पर फिलहाल आपको राहत नहीं मिलने वाली। आप जितने पैसे चुका रहे थे फिलहाल आपको उतने ही चुकाने पड़ेंगे।

एक बार फिर एमपीसी ने तटस्थ मौद्रिक नीति रुख बनाए रखने का निर्णय लिया, जिसका उद्देश्य विकास को बढ़ावा देते हुए महंगाई को नियंत्रण में रखना है।

आरबीआई लक्ष्य मध्यम अवधि में 4% सीपीआई मुद्रास्फीति दर (±2% के मार्जिन के साथ) प्राप्त करना है, जिससे मूल्य स्थिरता और आर्थिक विकास दोनों सुनिश्चित हो सके।

आरबीआई ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर है, लेकिन धीमी गति से बढ़ रही है और महंगाई कम हो रही है। भू-राजनीतिक जोखिम और व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितताएं वैश्विक वित्तीय बाजारों में अधिक अस्थिरता पैदा कर रही हैं।

भारत में, 2024-25 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (GDP Growth Rate) अपेक्षा से कम यानी 5.4% रही, जिसका मुख्य कारण निजी खपत और निवेश में कमी थी, हालांकि इस दौरान सरकारी खर्च में सुधार हुआ।
सेवा और कृषि क्षेत्र में लचीलापन दिखा, लेकिन कमजोर औद्योगिक गतिविधि (विनिर्माण, बिजली, खनन) ने समग्र विकास को प्रभावित किया।
अच्छा खरीफ उत्पादन, बेहतर रबी संभावनाएं, औद्योगिक गतिविधि में सुधार और मजबूत सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था के बारे में सकारात्मक संकेत दे रहे हैं।
2024-25 के लिए 6.6% वास्तविक सकल घरेलू वृद्धि दर का अनुमान जताया गया है। चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.8% और चौथी तिमाही में 7.2% रहने का अनुमान है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही की पहली तिमाही में 6.9% और दूसरी तिमाही में 7.3% वृद्धि दर का अनुमान जताया गया है।

अक्तूबर में सीपीआई मुद्रास्फीति दर बढ़कर 6.2% हो गई, खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण महंगाई दर सरकार की ओर से आरबीआई को दिए गए लक्ष्य ऊपरी स्तर को पार कर गई।

आरबीआई के अनुसार मौसमी सब्जियों की कीमतों में गिरावट, खरीफ और रबी की फसल की अच्छी स्थिति के कारण चौथी तिमाही में महंगाई दर में कमी आने की उम्मीद है।

एमपीसी के अनुसार प्रतिकूल मौसम, वैश्विक कृषि कीमतों में वृद्धि, तथा ऊर्जा लागत में संभावित वृद्धि शामिल है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में महंगाई दर 4.8% रहने का अनुमान है। यह तीसरी तिमाही में 5.7%, चौथी तिमाही में 4.5% और 2025-26 की पहली छमाही की पहली तिमाही में 4.6% और दूसरी तिमाही में 4.0% रहने का अनुमान है।

एमपीसी ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की, जिससे यह घटकर 4% हो गया।

सीआरआर बैंक की जमाराशि का वह हिस्सा है, जिसे आरबीआई के पास आरक्षित निधि के रूप में हर हाल में रखा जाना चाहिए।

आरबीआई ने एफसीएनआर-बी जमाराशियों पर ब्याज दर की अधिकतम सीमा में तत्काल प्रभाव से वृद्धि की घोषणा की। इस कदम का उद्देश्य, उच्च एफसीएनआर जमा दरों के साथ भारत में विदेशी पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देना है।
उभरते बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) प्रवाह आमतौर पर अक्तूबर में कम हो गया। भारत ने वित्त वर्ष 25 में अब तक 9.3 बिलियन डॉलर का शुद्ध एफपीआई प्रवाह हासिल किया है।

आरबीआई ने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति और विकास के हालिया परिणाम अक्तूबर के बाद से कम अनुकूल हो गए हैं।

आरबीआई सर्वेक्षणों में परिलक्षित बेहतर व्यापार और उपभोक्ता भावनाओं से आर्थिक गतिविधि में सुधार होने की उम्मीद है।

भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और बाजार में अस्थिरता के कारण मुद्रास्फीति का बड़ा जोखिम बना हुआ है।

उच्च मुद्रास्फीति उपभोक्ता क्रय शक्ति को प्रभावित करती है, विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में, तथा इससे निजी उपभोग को नुकसान पहुंचता है।दीर्घकालिक उच्च विकास के लिए टिकाऊ मूल्य स्थिरता महत्वपूर्ण है, जिसके कारण एमपीसी ने रेपो दर को 6.50% पर अपरिवर्तित बनाए रखा है। एमपीसी ने तटस्थ रुख बनाए रखा, जिससे आवश्यकतानुसार मुद्रास्फीति और विकास पर ध्यान देने में लचीलापन बना रहा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास, सौगत भट्टाचार्य, राजीव रंजन, माइकल देबब्रत पात्रा ने रेपो दरों को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया। एपीसी के सदस्य नागेश कुमार सिंह और राम सिंह ने दरों को 25 आधार अंकों तक कम करने के पक्ष में मतदान। तटस्थ मौद्रिक नीति रुख जारी रखने का सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से समर्थन किया।

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