राजकीय बाल शिशु सदन के कर्मचारी कठघरे में, तीन बच्चों की मौत के लिए कौन है जिम्मेदार!

संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। राजकीय बाल शिशु सदन में रहने वाले बच्चों की अस्पतालों में हो रही मौतों को लेकर शायद कोई चितिंत नहीं है। किसी भी अधिकारी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि बच्चों की मौत क्यों हो रही हैं। एक के बाद एक करके पांच दिनों में तीन बच्चों की मौत ने सवाल खड़े कर दिए हैं।

गत 15 मई को राजकीय बाल शिशु सदन की 22 दिन की रानी नाम की मासूम बिटिया ने महर्षि दयानंद सरस्वती जिला अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। ठीक दो दिन बाद महिला जिला अस्पताल में 20 दिन की काजल नाम की बिटिया की मौत हो गई ।

घटना को गुजरे दो दिन भी नहीं हुए कि गुरुवार यानि 20 मई को अंश नामक बच्चे की मौत हो गई। हर्ष नामक मासूम बच्चे का उपचार अस्पताल में चल रहा है। ताज्जुब इस बात का है कि पांच दिनों में तीन-तीन बच्चों की मौत होने के बाद किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है। क्या राजकीय बाल शिशु सदन में इन मासूमों को पोषाहार नहीं मिल रहा या कि फिर इलाज में लापरवाही बरती जा रही है।

तीन मासूमों की मौत होना इस बात का तो संकेत करता है कि कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ लापरवाही घटित हो रही है बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए लेकर आने वाले कर्मचारी से बात की तो उसने अपनी नाइट ड्यूटी का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया। राजकीय बाल शिशु सदन के अधीक्षक गोपाल प्रसाद पांडे ने बच्चों की मौत का ठीकरा डॉक्टर पर फोड़ दिया।

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