नई दिल्ली- बीजेपी ने इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो पूरी ताकत झोंकी है, उसके बाद ही पार्टी के नेता दावा कर रह हैं कि पार्टी राजधानी की 70 में से 45 से ज्यादा सीटें जीतने जा रही है। खुद दिल्ली चुनाव के लिए पूरी रणनीति तैयार करने वाले पूर्व पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी ये दावा किया है। दरअसल, ऐसी कुछ वजहें हैं, जिसके चलते पार्टी मान कर चल रही है कि उसकी उम्मीदें 8 फरवरी को मतदान के 11 फरवरी को सच साबित होने जा रही है। आइए जानते हैं कि आखिर पार्टी को दिल्ली में इतनी सीटें जीतने का विश्वास कैसे है, जबकि अब तक यही चर्चा हो रही थी कि आम आदमी पार्टी इस चुनाव में भाजपा से काफी आगे चल रही है।
घर-घर ‘संपर्क अभियान’ की कामयाबी
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति बनाने में जुटे रहे पार्टी नेताओं को यकीन है कि प्रचार के आखिरी दिनों में वह दिल्ली के मतदाताओं का मूड बदलने में पूरी तरह कामयाब रहे हैं। ईटी से बातचीत में दिल्ली बीजेपी के एक नेता ने साफ कहा है कि, ‘पिछले एक हफ्ते में घर-घर संपर्क अभियान की वजह से हम हर घर तक पहुंच पाए हैं और हम माहौल को काफी हद तक अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे हैं।’ इसलिए दिल्ली में पार्टी के चुनाव अभियान से जुड़े नेताओं को पक्का भरोसा है कि 45 सीटें जीती जा सकती है, क्योंकि जमीन पर वोटरों का मूड अब पूरी तरह बदल चुका है।
अनिर्णित वोटरों के अपने पक्ष में झुकाव का भरोसा
बीजेपी नेताओं का यह भी दावा है कि पिछले कुछ हफ्तों में खासकर के अंतिम हफ्ते में पार्टी दिल्ली के करीब 12-13 फीसदी अनिर्णित या फ्लोटिंग वोटरों के एक बड़े हिस्से को रिझाने में सफल रही है। पार्टी को भरोसा है कि वह ऐसे वोटरों के बीच हवा का रुख आम आदमी पार्टी के खिलाफ करने में कामयाब रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि मौजूदा 32 फीसदी वोट शेयर में 5 फीसदी का भी झुकाव भी पूरा चुनावी गणित को बदल देगा और लोगों के मन में जो एक धारणा बैठी हुई है, परिणाम उससे कहीं अलग आने जा रहा है।
आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध!
दिल्ली में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती समाज के सबसे निचले तबके में आम आदमी पार्टी की पकड़ को तोड़ने की थी। पिछले कई दिनों से भाजपा सांसदों और बड़े नेताओं ने इस वर्ग के मतदाताओं को मनाने के लिए बहुत ज्यादा कोशिशें की हैं। बीजेपी के नेताओं को लगता है कि उसके सांसद और नेताओं की मेहनत की वजह से इस तबके के मतदाताओं में भी वह पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होकर उभरी है। इसके अलावा भाजपा के नेताओं ने अपना ध्यान 50 सीटों में फैले हुए निम्न-मध्यम वर्ग के वोटरों पर भी फोकस किया है। पार्टी मानती है कि इस वर्ग के वोटरों को मुफ्त की बिजली और पानी की वैसी जरूरत नहीं है। एक बीजेपी नेता का कहना है कि ‘हम इस वर्ग के वोटरों में भी अपना जनाधार बढ़ा रहे हैं। आप नतीजे देखकर हैरान रह जाएंगे।’ वैसे भी भाजपा आपसी बातचीत में आम आदमी पार्टी सरकार की मुफ्त वाली नीति की जोरदार मुखालफत करती रही है।
शाहीन बाग से करिश्में की उम्मीद
ऊपर के तीनों मुद्दों के अलावा शाहीन बाग मुद्दे को भी बीजेपी ने इस चुनाव में खूब भुनाया है और उसे पूरा विश्वास है कि इसका परिणाम पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ने वाला है। पार्टी को लगता है कि राजधानी में राष्ट्रवाद के मुद्दे उठाने की वजह से चुनाव में इसका फायदा उसे जरूर मिलने जा रहा है। एक नेता ने कहा है, ‘इसका कितना असर हुआ है उसका पूरा आकलन अभी हमें करना है। लेकिन, अगर यह काम कर गया तो आंकड़े लोगों की उम्मीदों से कहीं ज्यादा होंगे।’ यह भरोसा केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की बातों में भी दिखता है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है, ‘लोग आम आदमी पार्टी की झूठ, प्रोपेगेंडा और भगोड़े रवैये से नाराज हैं और 8 फरवरी को उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे। ‘
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