यूनिक समय। भारत को दुनिया का बड़ा रेलवे नेटवर्क माना जाता है। रोजाना 20 हजार से अधिक ट्रेनें रोज आवागमन करती हैं। ट्रेनों के जरिए लगभग रोजाना 2 करोड़ लोग सफर करते हैं। लगभग 13 हजार से अधिक पैसेंजर ट्रेनें रोज भारत में चलती हैं। अकसर डीरेल होने के मामले सामने आते हैं। लेकिन इन मामलों का कारण क्या है। अभी ट्रेनों की टक्कर के मामलों में काफी कमी आ चुकी है। लेकिन डीरेल होने के पीछे क्या कारण हैं, इसको विस्तार से जानने की जरूरत है।
रेल के ट्रैक से उतरने के कई कारण होते हैं। – Train Accident
जिस तरह ट्रेन के पहिए बने होते हैं, इनका ट्रैक को छोड़ना आसान नहीं होता। लेकिन फिर भी ऐसे मामले सामने आ जाते हैं। क्या इसे रोकने के लिए रेलवे ने कोई कवायद की है। क्या ऐसी कोई टेक्निक है, जिससे हादसे रोके जा सकें। रेलवे के ट्रैक से उतरने के कई कारण होते हैं। मैकेनिकल फाल्ट के खराब होने की वजह से या फिर पटरियों के चटकने के कारण ट्रेन डीरेल हो सकती है।
जो उपकरण ट्रेन के डिब्बे बांधकर रखता है, वह कई बार ढीला हो जाता है। कई बार ट्रेन का एक्सेल भी टूट जाता है, जिसके कारण ट्रेन पटरी से उतर जाती है। पटरियों पर लगातार पहियों की घिसावट या गर्मी के कारण स्ट्रक्चर में बदलाव से भी हादसा हो सकता है। कई दफा तेज चल रही गाड़ी को ब्रेक लगाना, तीव्र मोड़ना भी डीरेल होने का कारण बन सकता है। इससे बचने का तरीका है समय-समय पर ट्रेन की जांच करते रहना।
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अभी बिहार के बक्सर में जो हादसा हुआ है, रेलवे कारणों की जांच कर रहा है। यहां पर अभी 4 लोगों की मौत हो चुकी है। ट्रेनों की टक्कर को रोकने के लिए रेलवे ने कवच नाम की तकनीक ईजाद की थी। वंदे भारत और गतिमान एक्सप्रेस में ये सिस्टम इंस्टॉल है। ये ट्रेन दिल्ली-भोपाल रूट पर चलती हैं। लेकिन क्या इस तकनीक से डीरेल जैसे हादसे रोके जा सकते हैं। विशेषज्ञों के हिसाब से ये अभी मुमकिन नहीं है।
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