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मुंबई। सीएनबीसी आवाज की रिपोर्ट के मुताबिक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक का भी अब विनिवेश होगा। विनिवेश के पहले चरण में ये दोनों बैंक अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी सेल करेंगे। सरकार ने साल 2022 के लिए विनिवेश टारगेट 1.75 लाख करोड़ रुपए रखा है।
केंद्र सरकार मानसून सत्र के दौरान इन दो सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए बैंकिंग नियमन अधिनियम और बैंकिंग कानून अधिनियम में संशोधन ला सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार विनिवेश के लिए बैंकिंग नियमन अधिनियम और कुछ अन्य बैंकिंग कानूनों में भी संशोधन करेगी।
सरकार के थिंक-टैंक ने हाल ही में विनिवेश पर सचिवों के कोर ग्रुप को इन दो बैंकों के नामों का उल्लेख करते हुए एक रिपोर्ट सौंपी है, जिनका इस वित्तीय वर्ष में निजीकरण किया जाएगा। कोर ग्रुप पैनल के अन्य सदस्य आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉर्पोरेट मामलों के सचिव, सार्वजनिक उद्यमों के सचिव, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव हैं। एक बार कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का मुख्य समूह, नामों को मंजूरी दे देता है, रिपोर्ट इसकी मंजूरी के लिए वैकल्पिक तंत्र (एएम) के पास जाएगी। अंततः अंतिम मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट में जाएगी। इस तरह बैंकों के विनिवेश पर फाइनल मुहर लग जाएगी।
ग्राहकों को नहीं होगा कोई नुकसान
बैंकों के निजीकरण से ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि जिन बैंकों का निजीकरण होने जा रहा है, उनके खाताधारकों को कोई नुकसान नहीं होगा। ग्राहकों को पहले की तरह ही बैंकिंग सेवाएं मिलती रहेंगी। दरअसल इस समय केंद्र सरकार विनिवेश पर ज्यादा ध्यान दे रही है। सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचकर सरकार राजस्व को बढ़ाना चाहती है और उस पैसे का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं पर करना चाहती है। सरकार ने 2021-22 में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
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