ग्रेटर नोएडा। गाजियाबाद मेरठ, आगरा नोएडा समेत आसपास के शहरवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। बीमारी के वायरस की जांच के लिए अब मरीजों को या उनके सैम्पल को बनारस या लखनऊ नहीं भेजा जाएगा. ग्रेटर नोएडाके राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में बहुत जल्द लैब बनने जा रही है। इस लैब पर करीब 5 करोड़ की लागत आएगी. जानकारों की मानें तो इस तरह की लैब में वायरस से बचाव और उसके निदान पर रिसर्च की जाती है। सरकार ने भी इस लैब को अपनी मंजूरी दे दी है।
गौरतलब रहे ग्रेटर नोएडा के जिम्स में कुछ वक्त पहले ही यूपी की पहली जिनोम सीक्वेंसिंग लैब शुरू करने की मंजूरी मिली है। इस लैब में वायरस स्ट्रेन में होने वाले बदलाव और उसकी फैमिली के बारे में रिसर्च किया जाता है. जानकारों का मानना है कि अब वीआरडीएल लैब बन जाने से वायरस पर शोध करने के बाद उसकी वैक्सीन बनाने में मदद मिलेगी।
और इसका बड़ा फायदा यह मिलेगा कि वायरस से होने वाली किसी भी बीमारी का टीका बनाने में खासी मदद मिलेगी। इस लैब को बनाने में करीब पांच करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसी लागत में मशीन भी खरीदी जाएंगी।
75 फीसद केन्द्र तो 25 देगी यूपी सरकार
सूत्रों की मानें तो वीआरडीएल लैब के निर्माण के लिए केंद्र सरकार कुल खर्च का 75 फीसद हिस्सा देंगी. वहीं यूपी सरकार बाकी का 25 फीसद खर्च करेगी. ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि अगले दो से तीन महीने में यह लैब काम शुरु कर देगी।
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