नई दिल्ली। जल्द वर्ल्ड बैंक उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं पंजाब जैसे राज्यों में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का प्लान कर रही है। ये यूनिट भारत के चार राज्यों के 145 जिलों में लगाई जाएंगी। इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए विश्व बैंक मदद करेगा. खाद्य मंत्रालय मुताबिक प्रोजेक्ट के लागू होने से इन चार राज्यों में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ी 90,000 छोटी यूनिट लाभान्वित होंगे। इससे 1.35 लाख रोजगार निकलने का अनुमान लगाया गया है. आपको बता दें कि नई सरकार बनाने बाद इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जाएगा।
क्या है इस उद्योग को बढ़ाने का कारण: विश्व बैंक की मदद से इस प्रोजेक्ट को लाने के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अच्छा माहौल तैयार करना है. आर्थिक मदद की जरिए खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी करना है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़े छोटे उद्यमियों को बाजार में मुकाबला करने लायक बनाना है. सभी उद्यमियों के साथ सफल यूनिट के मॉडल को साझा करना एवं बराबरी का माहौल तैयार करना है.
फूड प्रोसेसिंग यूनिट का मैन्यूफैक्चरिंग जीडीपी में 14 फीसदी हिस्सा
मंत्रालय के मुताबिक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग देश के मैन्यूफैक्चरिंग जीडीपी में 14 फीसदी का योगदान देता है, वहीं मैन्यूफैक्चरिंग से निकलने वाले रोजगार में इनकी हिस्सेदारी 13 फीसदी की है. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का 42 फीसदी उत्पादन गैर संगठित क्षेत्र से आता है. वर्ष 2015-16 में मंत्रालय की तरफ से किए गए सर्वे के मुताबिक 23 लाख से अधिक लोग खाद्य प्रसंस्करण की प्राइमरी यूनिट चला रहे हैं. सरकार एवं विश्व बैंक के साझा प्रयास से इन यूनिट को आसानी से फंड मुहैया कराने का काम किया जाएगा।
इस प्रोजेक्ट का फायदा छोटे उद्यमियों को मिलेगा. जिनके पास फैक्ट्री लाइसेंस नहीं है और जिन यूनिट में 10 से कम लोग काम कर रहे हो. सरकार की तरफ से किए गए सर्वे में पाया गया था कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ी 40 फीसदी से अधिक यूनिट के पास कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है. ये यूनिट एफएसएसएआई (FSSAI) से भी नहीं जुड़े हुए हैं. इस सर्वे में पाया गया है कि इस प्रकार के 70 फीसदी उद्यमियों को अपने काम के विस्तार के लिए फंड जुटाने में भारी दिक्कत होती है. क्योंकि इन उद्यमियों को देश-विदेश में होने वाले बदलाव एवं नए नियमों की कम जानकारी होती है।
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